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मानसिक आरोग्यशाला की पहचान रखने वाले शहर को धौनी ने दी अपनी पहचान

।। विजय बहादुर ।। आज 7 जुलाई है महेंद्र सिंहधौनी अपना जन्मदिन मना रहे हैं. वर्ल्ड कप क्रिकेट में भारत सेमीफाइनल में पहुंच चुका है. चर्चा तेज है कि इस वर्ल्ड कप में ही महेंद्र सिंह धौनी संन्यास ले लेंगें. अबतक कोई ऑफिसियल घोषणा नहीं की गयी है. जिस तरह धौनी का मिजाज है इससे […]

।। विजय बहादुर ।।

आज 7 जुलाई है महेंद्र सिंहधौनी अपना जन्मदिन मना रहे हैं. वर्ल्ड कप क्रिकेट में भारत सेमीफाइनल में पहुंच चुका है. चर्चा तेज है कि इस वर्ल्ड कप में ही महेंद्र सिंह धौनी संन्यास ले लेंगें. अबतक कोई ऑफिसियल घोषणा नहीं की गयी है. जिस तरह धौनी का मिजाज है इससे इंकार भी नहीं किया जा सकता है कि धौनी अपने शीर्ष में ही क्रिकेट को अलविदा कहना चाहेंगे. रांची के लोग जानते हैं की महेंद्र सिंह धौनी उनके लिए कितना मायने रखते है. रांची के लिए महेंद्र सिंह धौनी / धौनी भाई /धौनी भैया /माही/ धौनीया हैं.

शहर की पहचान कैसे बदल रही है इसका एक उदाहरण देखिये, साल 1993 का समय होगा मैं, पटना में कोचिंग में पढ़ाई करता था. उसी दौरान सिनेमा हॉल में टिकट काउंटर पर खड़ा था. सामने टिकट लेने वाले एक सज्जन का टिकट काटने वाले से किसी बात को लेकर झगड़ा हो गया. टिकट काटने वाले ने बिहारी लहजे मेंअपने सहकर्मी से पूछा ,जरा पता करो रांची की ट्रेन आ गयी क्या? पहले तो मैं समझ नहीं पाया, फिर दिमाग पर जोर लगाया तो समझ में आया की टिकट काटने वाला व्यंग कर रहा है और उस व्यक्ति कोरांची से सटे कांके में मानसिकआरोग्यशाला से जोड़ कर बता रहा है.

दूसरी घटना 2006 की है. अपने मित्रों के साथ सिक्किम में योगथांग जा रहा था. रास्ते में चाय के एक छोटे दुकान पर रूके. चाय वाले ने पूछा, कहाँ से हैं. मैंने कहा, राँची से. आप राँची के बारे में जानते हैं ? अरे, रांची को कौन नहीं जानता हैं ,वहीँ जहाँ धौनी रहते हैं ना.

इसके बाद मैं कहीं भी गया मेरे शहर की पहचान धौनी के नाम से हुई. गुलाम अली हो, आशा भोसले हो, सोनू निगम हो, सुखविंदर हो या फिर कोई और रांची आते ही हर आम और खासपहला सवाल यही पूछता है, धौनी को जानते हैं, धौनी से मुलाकात करा सकते हैं. अपने माही ने रांची की पहचान बदल दी.

मुझे भी क्रिकेट खेलने का जुनून था. रांची में क्रिकेट की चर्चा होती थी तो धौनी का नाम आता था. मैं सुना करता था, एक लड़का डीएवी श्यामली स्कूल (अब जेवीएम श्यामली)काहै ,बहुत डेंजर (जबर्दस्त )खेलताहै ,लंबा -लंबा छक्का मारता है. धौनी ने स्कूली क्रिकेट में धूम मचा रखा था. उसके बाद ऑफिस लीग में सीसीएल की तरफ से खेलते हुए उरीमारी ,सयाल ,मुरी जैसी छोटी छोटी जगहों में जाकर धौनी ने खूब छक्के लगाए.

अख़बारों में खूब उसके चर्चे होने लगे. धौनी भारतीय टीम में खेलेंगे इसकी उम्मीद बहुत कम लोगों को थी. लोगों का मानना थापूर्वी भारत से वो भी झारखंड से किसी को नेशनल टीममें मौका मिलेगा, असंभव है. कुछ साथी क्रिकेटर रश्क में कहतें थें की इसका बैटिंग तकनीक बहुत ही बेकार है. अंदाज पर बल्ला चलाता है ,बढ़िया बोलिंग अटैक होगा, तो नहीं खेल पाएगा लेकिन धौनी ने रेलवे से रणजी , सीके नायडू में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुएइंडिया ए और अंत मेंइंडिया टीम में अपनी जगह में अपनी जगह बना ली.

मुझे याद है धौनी जब इंडिया टीम में आए, तो उस समय दिनेश कार्तिक से उनकी तुलना की जाती थी और टीवी में बड़े एक्सपर्ट्स साबित करने में लगे रहते थें की दिनेश कार्तिक की कीपिंग और बैटिंग तकनीक धौनी से बेहतर है. लेकिन 2005 मेंअपने पाँचवें एकदिवसीय मैच में शतक धौनी ने पाकिस्तान के खिलाफ बनाया. इतिहास बन गया. उसके बाद धौनी ने दुसरे खिलाडियों से इतना अंतर बना दिया की उनकी तुलना सिर्फ गिलक्रिस्ट से की जाती है या उससे भी बेहतर माना जाता है.

कैप्टन कूल के रूप में उनके नेतृत्व में भारत 2007 में 20 -20 वर्ल्ड कपऔर 2011 में एक दिवसीय वर्ल्ड कप में चैंपियन बना. टेस्ट क्रिकेटमेंआइआइसीसीवर्ल्ड रैंकिंग में नंबर 1 टीम बना. बार-बार धौनी ने देश का नाम रोशन किया और रांची को नयी पहचान दी.

कप्तानी से संन्यास लेने के बाद आज भी जिस समय धौनी मैदान में रहते हैं कप्तान विराट कोहली मैदान में कठिन क्षणों में धौनी की सलाह को तबज्जो देते हैं. ऐसा लगता है धौनी ही टीम के कप्तान हैं. ठीक वर्ल्ड कप से कुछ दिन पहले संजय मांजरेकरने एक इंटरव्यू में कहा कि आने वाले वर्ल्ड कप के लिए टीम की कमान धौनी को सौप देना चाहिए. कुछ दिनों पहले ऑस्ट्रेलिया के कोच जस्टिन लेंगर ने कहा कि महेंद्र सिंह धौनी जीनियस हैं.

भारतीय टीम के कोच रवि शास्त्री ने कहा, भारतीय क्रिकेट इतिहास में धौनी का नाम सुनील गावस्कर, कपिलदेव और सचिन तेंदुलकर के साथ लिया जायेगा. लीजेंडरी प्लेयर्स के बयानों से धौनी के इंटरनेशनल क्रिकेट में बनाए गए इम्पैक्ट का पता चलता है. दुनिया के बेस्ट फिनिशर और सबसे कूल टेम्परामेंट के खेलाड़ी और कप्तान का रिप्लेसमेंट ढूंढना बहुत मुश्किल होगा.

महान खिलाड़ी होते हुए भी माही ने शहर से रिश्ता बनाये रखा. मैच नहीं होता तो राँची में क्रिकेट स्टेडियम प्रैक्टिस करते, सिल्ली में फुटबॉल खेलते, सड़कों पर गाड़ी चलाते, फॉल्स में नहाते, देवड़ी मंदिर के दर्शन करते नजर आते हैं. अपनी बेटी जीवा की परवरिश और पढ़ाई लिखाई धौनी राँची में ही कर रहे हैं.

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