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Jagannath Temple Puri:इस वजह से हवा के विपरीत दिशा में लहराता है जगन्नाथ मंदिर का ध्वज, जानें पौराणिक मान्यता

Jagannath Temple Puri: पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र की लहरों की आवाज के कारण भगवान विष्णु को आराम करने में दिक्कत होती थी. इस बात का पता हनुमान जी को चला. तब उन्होंने समुद्र से अपनी आवाज रोक लेने के लिए कहा.

Jagannath Temple Puri: जगन्नाथ रथ यात्रा 20 जून 2023 को है. उड़ीसा के पुरी में स्थिति जगन्नाथ मंदिर से निकलने वाली रथ यात्रा पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. इतना ही नहीं पुरी स्थिति भगवान जगन्नाथ के इस मंदिर से जुड़ी कई चीजें हैं जिन्हें चमत्कारी माना जाता है. इनमें से ही एक है मंदिर के ध्वज का हवा की विपरीत दिशा में लहराना. इसके पीछे पौराणिक कहानी प्रचलित है जिसका उल्लेख अक्सर किया जाता है. मंदिर के ध्वज से जुड़ी पौराणिक मान्यता जानने के लिए आगे पढ़ें.

हवा के विपरीत दिशा में लहराता है मंदिर का ध्वज

पुरी के जगन्नाथ मंदिर का ध्वज हमेशा हवा के विपरीत दिशा में लहराता है. इस संबंध में प्रचलित कहानी हनुमान जी जुड़ी है. मंदिर समुद्र के समीप स्थित है. पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र की लहरों की आवाज के कारण भगवान विष्णु को आराम करने में दिक्कत होती थी. इस बात का पता हनुमान जी को चला. तब उन्होंने समुद्र से अपनी आवाज रोक लेने के लिए कहा. उन्होंने कहा मेरे स्वामी तुम्हारे शोर के कारण विश्राम नहीं कर पा रहे. तब समुद्र ने कहा कि ऐसा करना मेरे वश में नहीं है. जहां तक पवन वेग चलेगा यह आवाज वहां तक पहुंचेगी. इस समस्या के उपाय के लिए आप अपने पिता पवन देव से विनती करें वहीं उपाय बता सकते हैं. तब हनुमान जी ने अपने पिता पवन देव का आह्वान किया और उनसे कहा कि आप मंदिर की दिशा में ना बहें. तब पवनदेव ने भी कहा कि यह संभव नहीं है. लेकिन समस्या के समाधान के लिए उन्होंने हनुमान जी को एक उपाय बताया. पिता से उपाय सुन कर हनुमान जी ने क्या किया आगे पढ़ें…

पिता पवन देव के बताये अनुसार हनुमान जी ने किया ये उपाय

हनुमान जी ने अपने पिता पवन देव के बताए उपाय के अनुसार, अपनी शक्ति से खुद को दो भागों में विभाजित कर लिया और फिर वे वायु से भी तेज गति से मंदिर के आसपास चक्कर लगाने लगे. उनके ऐसा करने से वायु का ऐसा चक्र बना की समुद्र की ध्वनि मंदिर के भीतर न जाकर मंदिर के आसपास ही घूमती रहती है और मंदिर में श्री जगन्नाथ जी आराम से सो पाते हैं. कहा जाता है कि तभी से मंदिर का ध्वज हवा की विपरीत दिशा में बहने लगा जो आज भी जारी है.

मंदिर की चोटी पर लहराते ध्वज को रोज बदला जाता है

आपको जान कर आश्चर्य होगा कि इस मंदिर की चोटी पर लहराते इस ध्वज को हर दिन बदला जाता है. पुरी के जगन्नाथ मंदिर की ऐसी मान्यता है कि अगर एक दिन भी ध्वज नहीं बदला गया तो मंदिर पूरे 18 वर्षों के लिए बंद हो जाएगा.

रोचक तरीके से बनाया जाता है प्रसाद

जगन्नाथ मंदिर का प्रसाद भी बड़े ही रोचक तरीके से बनाया जाता है. यहां प्रसाद पकाने के लिए 7 बर्तन एक दूसरे पर रखे जाते हैं, जिन्हें लकड़ी के चूल्हे पर पकाया जाता है. इस प्रक्रिया में सबसे ऊपर वाले बर्तन में रखा प्रसाद सबसे पहले पक कर तैयार होता है और फिर धीरे-धीरे नीचे के बर्तनों में रखी सामग्री पकती है.

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