हिंदू धर्म और वास्तु शास्त्र में दीपक का विशेष महत्व बताया गया है. पूजा-पाठ और धार्मिक कार्यों में दीपक जलाना एक अनिवार्य परंपरा है. माना जाता है कि दीपक के बिना पूजा अधूरी मानी जाती है, क्योंकि दीपक को प्रकाश, ज्ञान और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना गया है. विशेष रूप से घर के मंदिर में जो दीपक लंबे समय से उपयोग किया जा रहा हो, उसका आध्यात्मिक और ऊर्जा स्तर और भी अधिक प्रभावशाली होता है.
पुराने दीपक की विशेषता
पुराने दीपक का महत्व इसलिए भी अधिक माना जाता है क्योंकि उसमें लगातार की गई आराधना, मंत्रजाप और पूजा का दिव्य कंपन (positive vibrations) संचित हो जाता है. यह दीपक घर में एक ऊर्जा केंद्र की तरह काम करता है और पूरे वातावरण को पवित्र बनाता है. यही कारण है कि जितना पुराना दीपक होगा, उसका प्रभाव और लाभ भी उतना ही ज्यादा मिलेगा.
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सुख-समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का कारक
पुराना दीपक घर में सुख-समृद्धि, धन-धान्य और पारिवारिक खुशहाली का कारक माना जाता है. इसे जलाने से नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. खासकर पीतल, तांबे या मिट्टी के दीपक में वर्षों तक पूजा करने से उसका महत्व और भी बढ़ जाता है.
पुराने दीपक की देखभाल
धार्मिक मान्यता के अनुसार, पुराने दीपक को त्यागने की बजाय उसकी नियमित सफाई करनी चाहिए और उसमें प्रतिदिन घी या तेल का दीपक जलाना चाहिए. ऐसा करने से घर में देवी-देवताओं की कृपा बनी रहती है और परिवार के सभी कार्य सिद्ध होने लगते हैं.
वास्तु शास्त्र में महत्व
वास्तु शास्त्र में भी कहा गया है कि मंदिर में रखा हुआ पुराना दीपक घर में स्थिरता और सुख-शांति लाता है. यह न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से शुभ माना जाता है बल्कि मानसिक शांति और आत्मिक बल भी प्रदान करता है.

