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Friday, March 29, 2024

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Sheetala Ashtami 2022: इस दिन है शीतला अष्टमी, जानें क्यों खाया जाता है बासी खाना

Sheetala Ashtami 2022: इस बार मां शीतला देवी की पूजा 25 मार्च 2022, दिन शुक्रवार को होगी. चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 24 मार्च 2022, गुरुवार की रात 12:09 बजे से शुरु होगी और 25 मार्च 2022, शुक्रवार को रात 10:04 बजे खत्म होगी.

Sheetala Ashtami 2022: मां शीतला देवी की पूजा चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को की जाती है. इस वर्ष यह पर्व 25 मार्च ,गुरूवार को मनाया जाएगा. प्रकृति के अनुसार शरीर निरोगी हो,इसलिए भी शीतला अष्टमी की पूजा-व्रत करना चाहिए.

Sheetala Ashtami 2022: कब है मुहूर्त?

इस बार बसौड़ा का पर्व 25 मार्च 2022, दिन शुक्रवार को मनाया जाएगा. चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 24 मार्च 2022, गुरुवार की रात 12:09 बजे से शुरु होगी और 25 मार्च 2022, शुक्रवार को रात 10:04 बजे खत्म होगी. उदया तिथि के मुताबिक सूर्योदय 25 मार्च को होगा, इसलिए इसी दिन शीतला माता की पूजा होगी.

Sheetala Ashtami 2022: शीतला माता को बासी भोजन का भोग लगाने की परंपरा है

होली के बाद और चैत्र नवरात्रि से पहले आने वाली चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन शीतला माता की पूजा करने का विधान है. मां के इस स्वरुप को बासी भोजन का भोग लगाने की पुरानी परंपरा है. ऐसी मान्यता है कि, शीतला माता को बासी भोजन अर्पित करने से वे प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों का कल्याण करती हैं. वहीं हिन्दू धर्म में इस बासी भोजन को बासौड़ा के नाम से भी जाना जाता है. ऐसी मान्यता है कि चैत्र माह की अष्टमी तिथि को शीतला माता की पूजा करने से वे प्रसन्न होती हैं और बच्चों की रोगों से रक्षा करती हैं.

Sheetala Ashtami 2022: शीतला अष्टमी पर क्या है बासी भोजन करने का महत्व?

शीतला अष्टमी के दिन घरों में ठंढ़ा और बासी भोजन किया जाता है. इस दिन घरों में सुबह से समय चूल्हा नहीं जलाते हैं. इस दिन बासी खाना खाने के साथ ही नीम की पत्तियां खाने की भी परंपरा है. इसके अलावा इस दिन ठंढ़ा, बासी पुआ, पूरी, दाल-भात आदि का भोग माता को लगाकर खाया जाता है.

Sheetala Ashtami 2022: पूजा का महत्व

भगवती शीतला की पूजा-अर्चना का विधान भी अनोखा होता है. शीतला माता के पूजन के बाद उस जल से आँखें धोई जाती हैं. यह परंपरा गर्मियों में आँखों का ध्यान रखने की हिदायत का संकेत है. माता का पूजन करने के बाद हल्दी का तिलक लगाया जाता है, घरों के मुख्यद्वार पर सुख-शांति एवं मंगल कामना हेतु हल्दी के स्वास्तिक बनाए जाते हैं. हल्दी का पीला रंग मन को प्रसन्नता देकर सकारात्मकता को बढ़ाता है, भवन के वास्तु दोषों का निवारण होता है.

Sheetala Ashtami 2022: मां की उपासना मंत्र

स्कंद पुराण में वर्णित माँ का यह पौराणिक मंत्र ‘ॐ ह्रीं श्रीं शीतलायै नमः’ भी प्राणियों को सभी संकटों से मुक्ति दिलाकर समाज में मान सम्मान पद एवं गरिमा की वृद्धि कराता है.

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