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Ram Katha: संपाती ने बताया था हनुमान जी को माता सीता का पता, जानें ये कौन थे संपाती…

Ramayan Katha: रावण बहुत ही शक्तिशाली था, उसकी शक्तिओं से देवता भी घबराते थे. इन्ही शक्तिओं के कारण रावण को अहंकार हो गया और उसने अत्याचार शुरू कर दिया. अंहकार के कारण रावण स्वयं को सबसे अधिक बलशाली मानने लगा और अपनी मनमर्जी करने लगा. लोगों का अपमान करना, बलपूर्वक किसी भी चीज को हासिल करना रावण का एक मात्र लक्ष्य रहता था. बलपूर्वक रावण जब माता सीता का अपहरण कर लंका लेकर जा रहा था, तो भगवान राम और लक्ष्मण परेशान हो जाते हैं और माता सीता की तलाश शुरू कर देते है. उसी समय एक पक्षी माता सीता का पता बताती है. ये पक्षी कौन थी, आइए इसके बारें में जानते हैं...

Ramayan Katha: रावण बहुत ही शक्तिशाली था, उसकी शक्तिओं से देवता भी घबराते थे. इन्ही शक्तिओं के कारण रावण को अहंकार हो गया और उसने अत्याचार शुरू कर दिया. अंहकार के कारण रावण स्वयं को सबसे अधिक बलशाली मानने लगा और अपनी मनमर्जी करने लगा. लोगों का अपमान करना, बलपूर्वक किसी भी चीज को हासिल करना रावण का एक मात्र लक्ष्य रहता था. बलपूर्वक रावण जब माता सीता का अपहरण कर लंका लेकर जा रहा था, तो भगवान राम और लक्ष्मण परेशान हो जाते हैं और माता सीता की तलाश शुरू कर देते है. उसी समय एक पक्षी माता सीता का पता बताती है. ये पक्षी कौन थी, आइए इसके बारें में जानते हैं…

भगवान श्रीराम का जब वनवास हुआ तो उन्होंने वन में जाकर माता सीता और भ्राता लक्ष्मण के साथ एक कुटिया में रहने लगे. लेकिन एक दिन लंकापति रावण साधु का भेष बदलकर माता सीता का अपहरण कर लेता है और बलपूर्वक अपने पुष्पक विमान से सीता को लंका ले जाता है. लंका जाते समय रावण का रास्ता एक पक्षी रोकने का प्रयास करती है. ये पक्षी कोई और नहीं बल्कि जटायु थे.

जटायु और रावण का युद्ध

जटायु एक गरुड़ पक्षी थे. जब रावण माता सीता को ले जा रहा था, तो वे रावण से मुक्त होने के लिए संघर्ष कर रहीं थीं. जब जटायु ने ये देखा तो वे रावण को रोकने के लिए युद्ध करने लगे. माता सीता को बचाने के लिए जटायु ने शक्तिशाली रावण पर हमला बोल दिया, लेकिन शक्तिशाली रावण ने जटायु के पंख काट दिये, जिससे जमीन पर आ गिरे और अपने प्राण त्याग दिए. प्राण त्यागने से पूर्व सीता जी की तलाश में घुम रहे भगवान राम और लक्ष्मण को रावण के बारे में बताया कि वही माता सीता को ले गया है.

गरुड़ कौन थे

पौराणिक कथा के अनुसार जटायु के भाई भी थे जिनका नाम संपाती था. ये दोनों अरुण नाम के देवपक्षी की संतान थे. वहीं अरुण प्रजापति कश्यप की संतान थे. अरुण का भी एक भाई थे जिन्हें गुरुड़ कहा जाता है. गरुड़ ही भगवान विष्णु के वाहन हैं और अरुण सूर्यदेव के सारथी बन गए.

संपाती ने बताया माता सीता का पता

जब जामवंत, अंगद, हनुमान आदि जब सीता माता को ढूंढ़ने जा रहे थे तब मार्ग में उन्हें बिना पंख का विशालकाय पक्षी सम्पाति नजर आया, जो उन्हें खाना चाहता था लेकिन जामवंत ने उस पक्षी को रामव्यथा सुनाई और अंगद आदि ने उन्हें उनके भाई जटायु की मृत्यु का समाचार दिया. यह समाचार सुनकर सम्पाती दुखी हो गया. जटायु की मृत्यु के बाद भगवान राम के सभी सहयोगी माता सीता की तलाश में जुट गए.

हनुमान जी ने संपाती को पूरी घटना की जानकारी दी और ये भी बताया कि किस तरह से उनके भाई जटायु को रावण ने मार दिया. यह खबर सुनकर संपाती को बहुत दुख हुआ और फिर संपाती ने अपनी नजरों को घुमाना आरंभ किया. संपाती की नजरें बहुत तेज थीं और बहुत दूर तक का साफ साफ देखने की क्षमता रखती थीं. संपाती ने हनुमानजी और जांबवंत को बताया कि रावण माता सीता को लंका ले गया है. हनुमान जी ने यह समाचार तुरंत भगवान राम को दिया. इसके बाद लंका पर चढ़ाई की तैयारी शुरू हुई और अंत में रावण को भगवान राम ने मार दिया.

News Posted by: Radheshyam Kushwaha

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