24.3 C
Ranchi
Friday, March 29, 2024

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Pitru Paksha 2021: आज से पितृपक्ष का महीना शुरू, श्राद्ध पक्ष में जरूर करें ये महत्वपूर्ण कार्य

Pitru Paksha 2021: 20 सितंबर दिन सोमवार यानि आज से पितृपक्ष का महीना शुरू हो गया है. श्राद्ध पक्ष भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से आश्विन कृष्ण अमावस्या तक कुल 16 दिनों तक चलता है. वहीं, पितृ पक्ष का समापन 6 अक्टूबर 2021 दिन बुधवार को आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को होगा.

Pitru Paksha 2021: 20 सितंबर दिन सोमवार यानि आज से पितृपक्ष का महीना शुरू हो गया है. श्राद्ध पक्ष भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से आश्विन कृष्ण अमावस्या तक कुल 16 दिनों तक चलता है. वहीं, पितृ पक्ष का समापन 6 अक्टूबर 2021 दिन बुधवार को आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को होगा. आइए जानते है श्राद्ध पक्ष में करने वाली कुछ महत्वपूर्ण जानकारी…

जानें ये महत्वपूर्ण कार्य

  • पंचबलि कर्म- श्राद्ध में पंचबलि कर्म किया जाता है. पांच जीवों को भोजन दिया जाता है. बलि का अर्थ बलि देने नहीं बल्कि भोजन कराना भी होता है. श्राद्ध में गोबलि, श्वान बलि, काकबलि, देवादिबलि और पिपलिकादि कर्म किया जाता है. पितृ पक्ष के दौरान कोओं को प्रतिदिन खाना डालने का विधान है. मान्यता है कि हमारे पूर्वज कौवों के रूप में धरती पर आते हैं.

  • ब्राह्मण भोज- पंचबलि कर्म के बाद ब्राह्मण भोज कराया जाता है. इस दिन भोजन खिलाकर दक्षिणा दी जाती है. ब्राह्मण का निर्वसनी होना जरूरी है और ब्राह्मण नहीं हो तो अपने ही रिश्तों के निर्वसनी और शाकाहार लोगों को भोजन कराएं.

  • हनुमान चलीसा का पाठ- इस दौरान हनुमान चालीसा का पाठ नियमित रूप से करना चाहिए. ऐसा करने से घर-परिवार में कभी कोई संकट नहीं आता है.

  • दस प्रकार के दान- इस दौरान जूते-चप्पल, वस्त्र, छाता, काला‍ तिल, घी, गुड़, धान्य, नमक, चांदी-स्वर्ण और गौ-भूमि दान-पुण्य का कार्य करना चाहिए. गरीबों या जरूरतमंदों को खाद्य सामग्री, वस्त्र आदि इच्छा‍नुसार मात्रा में दान करनी चाहिए.

  • गीता का पाठ- आप चाहे तो संपूर्ण गीता का पाठ करें, नहीं तो पितरों की शांति के लिए और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए और उन्हें मुक्ति प्रदान का मार्ग दिखाने के लिए गीता के दूसरे और सातवें अध्याय का पाठ जरूर करें.

  • यहां करें श्राद्ध अनुष्‍ठान- देश में श्राद्ध पक्ष के लिए लगभग 55 स्थानों को महत्वपूर्ण माना गया है. इनमें से उज्जैन (मध्यप्रदेश), लोहानगर (राजस्थान), प्रयाग (उत्तर प्रदेश), हरिद्वार (उत्तराखंड), पिण्डारक (गुजरात), नाशिक (महाराष्ट्र), गया (बिहार), ब्रह्मकपाल (उत्तराखंड), मेघंकर (महाराष्ट्र), लक्ष्मण बाण (कर्नाटक), पुष्कर (राजस्थान), काशी (उत्तर प्रदेश) को प्रमुख माना जाता है.

  • श्राद्ध का समय- श्राद्ध करने का समय तुरूप काल बताया गया है. दोपहर 12 बजे से 3 के मध्य.सुबह और शाम के समय श्राद्ध निषेध कहा गया है.

  • तर्पण- पितृ पक्ष में प्रतिदिन नियमित रूप से पवित्र नदी में स्नान करके पितरों के नाम पर तर्पण करना चाहिए. इसके लिए पितरों को जौ, काला तिल और एक लाल फूल डालकर दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके जल अर्पित करना चाहिए.

  • पिंडदान- पितृ पक्ष के दौरान पिंडदान भी किया जाता है. पितृ पक्ष में पिंडदान का भी महत्व है. धार्मिक मान्यता है कि चावल से बने पिंड से पितर लंबे समय तक संतुष्ट रहते हैं.

  • पीपल की पूजा- सर्वपितृ अमावस्या पर पीपल की सेवा और पूजा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं. स्टील के लोटे में, दूध, पानी, काले तिल, शहद और जौ मिला लें और पीपल की जड़ में अर्पित कर दें.

  • प्रायश्चित कर्म- शास्त्रों में मृत्यु के बाद और्ध्वदैहिक संस्कार, पिण्डदान, तर्पण, श्राद्ध, एकादशाह, सपिण्डीकरण, अशौचादि निर्णय, कर्म विपाक आदि के द्वारा पापों के विधान का प्रायश्चित कहा गया है. प्राचीन काल में अपने किसी पाप का प्रायश्‍चित करने के लिए देवता, मनुष्य या भगवान अपने अपने तरीके से प्रायश्चित करते थे.

  • त्रेता युग में भगवान राम ने रावण का वध किया, जो सभी वेद शास्त्रों का ज्ञाता होने के साथ-साथ ब्राह्मण भी था. इस कारण उन्हें ब्रह्महत्या का दोष लगा था. इसके उपरांत उन्होंने कपाल मोचन तीर्थ में स्नान और तप किया था, जिसके चलते उन्होंने ब्रह्महत्या दोष से मुक्ति पाई थी.

Posted by: Radheshyam Kushwaha

You May Like

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

अन्य खबरें