Parivartini Ekadashi 2025 Remedies: भाद्रपद शुक्ल पक्ष की एकादशी को परिवर्तिनी एकादशी कहा जाता है, जब योगनिद्रा में लीन भगवान विष्णु करवट बदलते हैं. इस वर्ष यह शुभ व्रत 3 सितंबर को रखा जाएगा. इसे पद्मा और पार्श्व एकादशी भी कहते हैं. मान्यता है कि इस व्रत से पापों का नाश होता है, मोक्ष की प्राप्ति होती है और किए गए उपाय विवाह, करियर व धन की रुकावटों को दूर करते हैं.
पीपल वृक्ष की पूजा करें
परिवर्तिनी एकादशी के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करने से पितृदोष का नाश होता है. जल चढ़ाकर और दीपक जलाकर भगवान विष्णु से आशीर्वाद मांगे.
कब मनाई जाएगी परिवर्तिनी एकादशी, 02 या 03 सितंबर, यहां जानें सही डेट
तुलसी दल अर्पित करें
विष्णु भगवान को तुलसी अत्यंत प्रिय है. इस दिन तुलसी दल अर्पित करने से घर में सुख-समृद्धि और सौभाग्य बढ़ता है.
दान-पुण्य करें
गरीब और जरूरतमंद को भोजन, वस्त्र या अनाज दान करने से पापों का क्षय होता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है.
पीली वस्तु अर्पित करें
भगवान विष्णु को पीला रंग प्रिय है. व्रत और पूजा के समय पीले पुष्प या पीले वस्त्र अर्पित करें. इससे करियर और नौकरी में आने वाली रुकावटें दूर होती हैं.
मंत्र जप करें
‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जप करने से मानसिक शांति मिलती है और हर मनोकामना पूरी होती है.
परिवर्तिनी एकादशी शुभ मुहूर्त (Parivartini Ekadashi Shubh Muhurat)
- एकादशी तिथि प्रारंभ: 03 सितंबर, रात्रि 03:53 बजे
- एकादशी तिथि समाप्त: 04 सितंबर, प्रातः 04:21 बजे
परिवर्तिनी एकादशी का महत्व
एकादशी तिथि को भगवान विष्णु के प्रति समर्पित माना जाता है. इस दिन विष्णु भगवान की आराधना और साधना करने से मां लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं और साधक पर अपनी विशेष कृपा बरसाती हैं. उनकी कृपा से जीवन की हर मनोकामना पूर्ण होती है और घर-परिवार में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है. इस पावन अवसर पर मंदिरों में लक्ष्मी-नारायण की विशेष पूजा-अर्चना होती है और दान-पुण्य करने का महत्व भी अत्यधिक है.

