Navratri 2025: प्रेमानंदजी महाराज ने सत्संग के दौरान व्रत का वास्तविक महत्व और इसे सही ढंग से निभाने का तरीका समझाया. उनके अनुसार व्रत का असली उद्देश्य संयम और आत्मनियंत्रण है. आजकल लोग व्रत के दौरान भी तरह-तरह के पकवान और फलाहार का सेवन कर लेते हैं, जिससे व्रत का भाव कम हो जाता है. उन्होंने बताया कि पूड़ी, पकौड़ी, खीर, सूखे मेवे या महंगे अनाज खाने से व्रत का मकसद पूरा नहीं होता. व्रत का अर्थ केवल भूख और पेट को रोकना नहीं, बल्कि मन और जीवन में अनुशासन, सादगी और भक्ति बनाए रखना है. सही फलाहार और संयम के साथ व्रत करने से ही माता रानी की कृपा प्राप्त होती है और यह पर्व सचमुच लाभकारी बनता है.
ये है फलाहार का सही मतलब
प्रेमानंद जी महाराज बताते हैं कि कई लोग व्रत के दौरान फलाहार को गलत ढंग से समझ लेते हैं. कुट्टू की पूड़ी, पकौड़ी, खीर जैसी चीजें खाने को सही मान लेते हैं. लेकिन व्रत में ये भोजन करना उचित नहीं है. फलाहार का असली मतलब केवल हल्का खाना है, न कि भारी या तरह-तरह के पकवान.
इन चीजों को ना खाएं व्रत में
व्रत के दौरान तरह-तरह के व्यंजन लेना सही नहीं माना जाता. महंगे अनाज या अलग-अलग प्रकार के फल खाने से व्रत का उद्देश्य समाप्त हो जाता है. व्रत में सादगी और संयम बनाए रखना जरूरी है.
समय अनुसार खाएं
प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि आजकल लोग व्रत के नाम पर पूरे दिन कुछ न कुछ खाते रहते हैं. यह सही व्रत नहीं है. व्रत में खाने के नियम और मात्रा दोनों का ध्यान रखना जरूरी है. क्या और कितना खाना है, यह भी महत्वपूर्ण है.
ये है व्रत का सही तरीका
व्रत के दौरान सुबह से दोपहर तक भोजन न लें. दोपहर में हल्का फल या सुपाच्य भोजन किया जा सकता है. शाम की पूजा के बाद आप फल, प्रसाद या दूध का सेवन कर सकते हैं. इस तरह व्रत का पालन सही ढंग से होता है और इसका उद्देश्य पूरा होता है.
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