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कामदा एकादशी कल, जानें व्रत की विधि और शुभ मुहूर्त

हिंदू संवत्सर की पहली एकादशी और चैत मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को कामदा एकादशी के नाम से जाना जाता है. इसे फलदा एकादशी भी कहते हैं. कहा गया है कि ‘कामदा एकादशी’ ब्रह्महत्या आदि पापों तथा पिशाचत्व आदि दोषों से मुक्ति दिलाती है. इसके पढ़ने और सुनने से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है. इस एकादशी का उल्लेख विष्णु पुराण में किया गया है. इस व्रत को अपने जीवन की समस्याओं का समाधान करने के लिए रखा जाता है. इस साल 2020 की यह एकादशी kamada ekadashi 2020 कल 4 अप्रैल दिन शनिवार को है. कामदा एकादशी को भगवान विष्णु की पूजा की जाती है.

हिंदू संवत्सर की पहली एकादशी और चैत मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को कामदा एकादशी kamada ekadashi 2020 के नाम से जाना जाता है. इसे फलदा एकादशी भी कहते हैं. कहा गया है कि ‘कामदा एकादशी’ ब्रह्महत्या आदि पापों तथा पिशाचत्व आदि दोषों से मुक्ति दिलाती है. इसके पढ़ने और सुनने से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है. इस एकादशी का उल्लेख विष्णु पुराण में किया गया है. इस व्रत को अपने जीवन की समस्याओं का समाधान करने के लिए रखा जाता है. इस साल 2020 की यह एकादशी kamada ekadashi 2020 कल 4 अप्रैल दिन शनिवार को है. कामदा एकादशी को भगवान विष्णु की पूजा की जाती है.

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Kamda ekadashi ka mahatva :

पौराणिक उल्लेख :

Kamda ekadashi story : पुराणों में इस एकादशी kamada ekadashi 2020 विषय में एक कथा मिलती है. जो भगवान कृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को सुनाया था. कहा जाता है कि प्राचीनकाल में भोगीपुर नामक एक नगर हुआ करता था. वहां पर अनेक ऐश्वर्यों से युक्त पुण्डरीक नाम का एक राजा राज्य करता था. भोगीपुर नगर में अनेक अप्सरा, किन्नर तथा गन्धर्व रहा करते थे. उनमें से एक जगह ललिता और ललित नाम के दो स्त्री-पुरुष अत्यंत वैभवशाली घर में निवास करते थे. उन दोनों में अत्यंत स्नेह था, दोनो एक दूजे के काफी अजीज थे. कभी अलग-अलग हो जाते तो दोनों व्याकुल हो जाते थे. एक दिन गन्धर्व ललित दरबार में गान कर रहा था कि अचानक उसे अपनी पत्नी की याद आ गई. इससे उसका स्वर, लय एवं ताल बिगडने लगे. इस त्रुटि को कर्कट नामक नाग ने जान लिया और यह बात उसने राजा को बता दी. राजा को ललित पर क्रोध आया और उसने ललित को राक्षस होने का श्राप दे दिया. जब उसकी पत्नी ललिता को यह मालूम हुआ तो उसे काफी दुख हुआ. ललित कई सालों तक राक्षस योनि में घूमता रहा. उसकी पत्नी भी उसी का अनुकरण करती रही. अपने पति को इस हालत में देखकर वह काफी दुःखी होती थी. वह श्रृंगी ऋषि के आश्रम में जाकर प्रार्थना करने लगी. उसे देखकर श्रृंगी ऋषि बोले कि हे सुभगे! तुम कौन हो और यहाँ किस लिए आई हो? ललिता बोली कि हे मुने! मेरा नाम ललिता है. मेरा पति राजा पुण्डरीक के श्राप से राक्षस हो गया है. इस कारण मैं काफी दुःख में हूं. उसके उद्धार का कोई उपाय बतलाइए. श्रृंगी ऋषि ने आने वाली चैत्र शुक्ल एकादशी व्रत करने का सुझाव दिया और कहा कि इस व्रत को करने से मनुष्य के सब कार्य सिद्ध होते हैं. यदि तुम कामदा एकादशी का व्रत कर उसके पुण्य का फल अपने पति को दे तो वह शीघ्र ही राक्षस योनि से मुक्त हो जाएगा और राजा का श्राप भी शांत हो जाएगा. ललिता ने मुनि की आज्ञा का पालन किया और एकादशी का फल देते ही उसका पति राक्षस योनि से मुक्त होकर अपने पुराने स्वरूप को प्राप्त हुआ और ललिता के साथ विहार करते हुए ललित और ललिता दोनों विमान में बैठकर स्वर्गलोक को प्राप्त हुए. ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को kamada ekadashi 2020 विधिपूर्वक करने से समस्त पाप नाश हो जाते हैं तथा राक्षस आदि की योनि भी छूट जाती है. संसार में इसके बराबर कोई और दूसरा व्रत नहीं है. इसकी कथा पढ़ने या सुनने से वाजपेय यज्ञ का फल प्राप्त होता है.

पूजा विधि

*कामदा एकादशी व्रत के दिन स्नान के बाद इस व्रत का संकल्प लें.

*इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जानी चाहिए.

*घर के मंदिर या पूजास्थल की साफ -सफाई करनी चाहिए.

* भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर सामने रखनी चाहिए.

*फल, फूल, दूध, तिल ,गंगाजल और पंचामृत आदि से आज पूजा की जानी चाहिए.

*एकादशी व्रत की कथा आज जरुर करना या सुनना चाहिए.

*द्वादशी के दिन ब्राह्मण व दरिद्र नारायणों को भोजन जरुर कराना चाहिए.

एकादशी के व्रत kamada ekadashi 2020 को समाप्त करने को पारण कहते हैं. एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण किया जाता है. एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले करना जरुरी होता है. द्वादशी तिथि के भीतर पारण न करना पाप करने के समान होता है.

एकादशी व्रत शुरु होने और पारण का दिन और समय :

एकादशी तिथि प्रारम्भ – अप्रैल 04, 2020 रविवार को 12:58 AM बजे

एकादशी तिथि समाप्त – अप्रैल 04, 2020 को 10:30 PM बजे

पारण (व्रत तोड़ने का) समय – 5 अप्रैल, रविवार को 06:06 AM से 08:37 AM

पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय – 07:24 PM

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