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Karwa Chauth 2025: कौन हैं करवा माता? जानें कैसे पड़ा इस व्रत का नाम करवा चौथ

Karwa Chauth 2025: करवा चौथ का व्रत सुहागिन औरतें खूब उत्साह से रखतीं हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि करवा माता कौन हैं और कैसे इस व्रत का नाम करवा चौथ पड़ा? आइए जानते हैं.

Karwa Chauth 2025: यह त्योहार हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है. इस दिन महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं और सोलह श्रृंगार कर शिव, पार्वती, करवा माता, गणेश और चंद्रमा की आराधना करती हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि करवा माता कौन हैं और इस व्रत का नाम करवा चौथ कैसे पड़ा? आइए जानते हैं करवा माता की कहानी.

करवा माता की पौराणिक कहानी

पुराने समय में करवा नाम की एक पतिव्रता स्त्री रहती थी. उसका पति नदी में स्नान कर रहा था कि मगरमच्छ ने उसे पकड़ लिया. करवा ने अपने तप और सूती धागे से मगरमच्छ को बांधकर यमराज के पास ले गई. उसने पति की रक्षा और चिरायु की कामना की. यमराज ने मगरमच्छ को यमलोक भेजा और करवा के पति को लंबी उम्र का वरदान दिया. चित्रगुप्त ने करवा को आशीर्वाद दिया कि जो महिला इस दिन आस्था और विश्वास के साथ व्रत रखेगी, उसका सौभाग्य सुरक्षित रहेगा. इस कारण इस व्रत का नाम करवा चौथ पड़ा. बाद में पांडवों की पत्नी द्रौपदी ने भी इस व्रत का पालन किया, जैसा वराह पुराण में लिखा है.

व्रत रखने के लिए कौन-कौन से नियम हैं?

महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं, पूरे दिन सोलह श्रृंगार करती हैं और शाम को चांद को देखकर व्रत खोलती हैं.

सोलह श्रृंगार का क्या महत्व है?

सोलह श्रृंगार पति के प्रति प्रेम और सुहाग का प्रतीक है. इसे करने से स्त्री की सुंदरता और भक्ति बढ़ती है.

पूजा में किन-किन देवताओं की आराधना होती है?

इस दिन भगवान शिव, माता पार्वती, करवा माता, गणेश और चंद्रमा की पूजा की जाती है.

व्रत खोलते समय क्या जरूरी होता है?

पहले चांद को अर्घ्य दिया जाता है, फिर छलनी से देखकर पति का चेहरा देखा जाता है और उसके हाथ से जल ग्रहण करके व्रत खोला जाता है.

करवा चौथ के दिन लाल रंग पहनना क्यों शुभ माना जाता है?

लाल रंग प्रेम, सौभाग्य और वैवाहिक सुख का प्रतीक है. इसलिए महिलाएं इस दिन लाल साड़ी या लहंगा पहनती हैं.

क्या व्रत न रखने पर पूजा की जा सकती है?

हाँ, जो महिलाएं स्वास्थ्य कारणों से व्रत नहीं रख पातीं, वे केवल पूजा कर सकती हैं — इससे भी शुभ फल प्राप्त होते हैं.

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी केवल मान्यताओं और परंपरागत जानकारियों पर आधारित है. प्रभात खबर किसी भी तरह की मान्यता या जानकारी की पुष्टि नहीं करता है.

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JayshreeAnand
JayshreeAnand
कहानियों को पढ़ने और लिखने की रुचि ने मुझे पत्रकारिता की ओर प्रेरित किया. सीखने और समझने की इस यात्रा में मैं लगातार नए अनुभवों को अपनाते हुए खुद को बेहतर बनाने की कोशिश करती हूं. वर्तमान मे मैं धार्मिक और सामाजिक पहलुओं को नजदीक से समझने और लोगों तक पहुंचाने का प्रयास कर रही हूं.

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