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Karwa Chauth 2025: करवा चौथ पर मिट्टी के करवे का क्यों किया जाता है इस्तेमाल, जानें धार्मिक महत्व

Karwa Chauth 2025: क्या आप जानते हैं कि करवा चौथ के व्रत में मिट्टी के करवे का इतना विशेष महत्व क्यों होता है? सुहागिन महिलाएं इस दिन अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं, लेकिन क्यों रखा जाता है मिट्टी का करवा? आइए जानते हैं इस परंपरा के पीछे छिपा धार्मिक महत्व.

Karwa Chauth 2025: कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाने वाला करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है. इस दिन का इंतजार विवाहित महिलाएं पूरे साल करती हैं और पति की लंबी आयु व दांपत्य सुख की कामना से निर्जला व्रत रखती हैं. शाम के समय वे चंद्र दर्शन के बाद पूजा-अर्चना करती हैं. पूजा के दौरान महिलाएं थाली में कई वस्तुएं सजाती हैं, जिनमें मिट्टी का करवा विशेष रूप से शामिल होता है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि पूजा में मिट्टी का करवा ही क्यों रखा जाता है?

मिट्टी के करवे का धार्मिक महत्व

सनातन परंपरा में करवा को बहुत पवित्र माना गया है. यह पांच तत्वों — जल, वायु, अग्नि, आकाश और पृथ्वी का प्रतीक है, जिनसे मानव शरीर भी बना है. माना जाता है कि ये पांचों तत्व मिलकर वैवाहिक जीवन में सुख, शांति और स्थिरता बनाए रखने में सहायक होते हैं. करवा का आकार मटके जैसा होता है, जो समृद्धि और जीवनदायिनी शक्ति का प्रतीक माना गया है. करवा चौथ के दिन महिलाएं इस मिट्टी के करवे को देवी माता का रूप मानकर श्रद्धा से पूजा करती हैं ताकि उनका वैवाहिक जीवन मंगलमय बना रहे.

माता सीता ने शुरू की थी परंपरा

धार्मिक कथाओं के अनुसार, करवा चौथ की परंपरा बहुत प्राचीन है. कहा जाता है कि जब माता सीता ने भगवान राम के लिए व्रत रखा था और जब महाभारत काल में माता द्रौपदी ने भी अर्जुन की लंबी आयु की कामना की थी, तब दोनों ने मिट्टी के करवे का ही प्रयोग किया था. तभी से करवा चौथ की पूजा में मिट्टी के करवे को शामिल करना शुभ और आवश्यक माना जाने लगा.

करवा चौथ पर मिट्टी का करवा ही क्यों रखा जाता है?

मिट्टी का करवा धरती मां का प्रतीक माना जाता है, जो स्थिरता, धैर्य और समर्पण का भाव दर्शाता है. यह वैवाहिक जीवन में सुख और सौभाग्य बढ़ाने का प्रतीक है.

पूजा के समय करवे में क्या रखा जाता है?

करवे में जल या दूध भरा जाता है और उस पर ढक्कन रखकर दीपक जलाया जाता है. पूजा के बाद यह जल चंद्र देव को अर्पित किया जाता है.

क्या मिट्टी के बजाय अन्य धातु का करवा इस्तेमाल किया जा सकता है?

हां, अगर मिट्टी का करवा उपलब्ध न हो तो तांबे या पीतल का करवा भी रखा जा सकता है, लेकिन धार्मिक दृष्टि से मिट्टी का करवा सबसे शुभ माना गया है.
 

करवा चौथ की पूजा कब की जाती है?

यह पूजा सूर्यास्त के बाद और चंद्रमा के उदय से पहले की जाती है. चंद्र दर्शन और अर्घ्य देने के बाद व्रत पूर्ण होता है.

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी केवल मान्यताओं और परंपरागत जानकारियों पर आधारित है. प्रभात खबर किसी भी तरह की मान्यता या जानकारी की पुष्टि नहीं करता है.

JayshreeAnand
JayshreeAnand
कहानियों को पढ़ने और लिखने की रुचि ने मुझे पत्रकारिता की ओर प्रेरित किया. सीखने और समझने की इस यात्रा में मैं लगातार नए अनुभवों को अपनाते हुए खुद को बेहतर बनाने की कोशिश करती हूं. वर्तमान मे मैं धार्मिक और सामाजिक पहलुओं को नजदीक से समझने और लोगों तक पहुंचाने का प्रयास कर रही हूं.

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