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Janmashtami 2022: जन्माष्टमी पर लड्‌डू गोपाल का इन चीजों से करें भव्य श्रृंगार, यहां है पूरी लिस्ट

Janmashtami 2022: भगवान कृष्ण को श्रृंगार बेहद पसंद हैं. यशोदा मैया अपने कान्हा को तरह-तरह के प्रसाधनों से सजाती-सवांरती थीं. इसी वजह से कृष्ण जन्माष्टमी पर बाल गोपाल का भव्य श्रृंगार किया जाता है. ऐसी मान्यता है कि श्रृंगार से कृष्ण प्रसन्न होते हैं और अपने भक्त की मनोकामना पूर्ण करते हैं.

Janmashtami 2022: जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप बाल गोपाल का विशेष श्रृंगार किया जाता है. इस दिन भगवान कृष्ण का भव्य श्रृंगार करने से वे बेहद प्रसन्न होते हैं. इसलिए आप भी पहले से ही उनके श्रृंगार की चीजें इकट्ठा कर लें. जानें कृष्ण श्रृंगार के बारे में पूरी डिटेल.

कान्हा के पास रखें माखन की मटकी

जन्माष्टमी वाले दिन एक मटकी खरीद लें और उसमें माखन और मिश्री भर दें. दरअसल, भगवान कृष्ण को माखन मिश्री का भोग अत्यंत प्रिय है. वह बचपन में माखन चोरी छिपे खाया करते थे.

बाजूबंद से करें कान्हा का श्रृंगार

कान्हा का श्रृंगार बाजूबंद के बिना भी अधूरा ही माना जाता है. आप चाहें तो भगवान कृष्ण को सोने, चांदी या मोती से बने बाजूबंद पहना सकते हैं. बाजार में भी आपको कई अलग अलग तरह के बाजूबंद मिल जाएंगे.

गोपी चंदन से करें कान्हा का श्रृंगार

जब भगवान श्रीकृष्ण द्वारका चले आए थे. तो उनसे मिलने के लिए गोपियां वहां पहुंची थी. इसके बाद भगवान कृष्ण ने द्वारका के पास एक सरोवर का निर्माण कराया गया. इस सरोवर की मिट्टी से चंदन बनता है. इसी को गोपी चंदन कहते हैं. इसलिए भगवान कृष्ण को गोपी चंदन बहुत प्रिय है.

बालगोपाल को चढ़ाएं ऐसे वस्त्र

आजकल बाजार में भगवान कृष्ण के अलग अलग तरह के वस्त्र मौजूद हैं. आप चाहें तो लाल, पीले, हरे या किसी भी रंग के वस्त्र भगवान को अर्पित कर सकते हैं. आप चाहें तो भगवान कृष्ण के लिए अपने हाथों से वस्त्र तैयार कर सकते हैं.

कान्हा के पास रखें गाय

नंदगांव में जब कान्हा रहते थे तो वह अपने दोस्तों के साथ गाय चराने जाते थे. इसलिए कान्हा को सजाने के बाद आप चाहे तो उनके पास प्रतीकात्मक गाय रख दें.

कृष्ण को पहनाएं कमरबंद

यशोदा मैया भगवान कृष्ण का सौंदर्य निखारने के लिए उन्हें कमरबंद पहनाया करती थी. हालांकि, प्राचीन काल से ही बालक को कमरबंद पहनाने की प्रथा है. कुछ महिलाएं आज भी अपने छोटे बच्चे को कमरबंद पहनाती हैं.

बाल गोपाल के लिए बेहद जरूरी है झूला

बाल श्रीकृष्ण को जन्मदिवस पर झूला झुलाने की परंपरा वर्षों से चली आ रही है. बालकृष्ण को झूले पर बैठाना बहुत ही शुभ माना जाता है. इसलिए इस दिन उनके लिए झूला लाना न भूलें.

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कड़ों से करें कृष्ण का श्रृंगार

भगवान कृष्ण को माता यशोदा कड़े उनका सौंदर्य बढ़ाने के लिए ही पहनाती थी. इसलिए आप भी लड्डू गोपाल के श्रृंगार में कड़े जरूर शामिल करें.

काजल के बिना अधूरा कृष्ण श्रृंगार

श्रीकृष्ण को नजर न लगें इसलिए यशोदा मैया उन्हें काजल लगाया करती थी. इसलिए आप भी बाल गोपाल को नजर से बचाने के लिए काजल जरूर लगाएं. आज का समय में भी कुछ माताएं अपने बच्चों को आंखों में काजल लगाती हैं या पैर पर काजल की टीका जरूर लगाती हैं.

कृष्ण को पहनाएं कुंडल

प्राचीन काल में जनेऊ के समय बच्चे को कुंडल पहनाया जाता था. इसी तरह भगवान श्रीकृष्ण को कुंडल पहनाते हैं. मान्यता है के कुंडल तेज बढ़ाता है और रक्षा भी करता है.

भगवान को अर्पित करें माला

माला भगवान कृष्ण की विजय का प्रतीक है. बिना माला के उनकी पूजा अधूरी मानी जाती है. अगर आपको इस दिन कहीं से वैजयंती माला मिल जाए तो वह अति उत्तम रहेगी. .

कृष्ण श्रृंगार में शामिल करें मोर पंख

मोर पंख हमेशा ही भगवान कृष्ण का प्रिय रहा है. ऐसी मान्यताएं है कि भगवान श्रीकृष्ण की कुंडली में कालसर्प दोष था इसलिए उनकी मां यशोदा उन्हें मोर मुकुट पहनाती थी. इसलिए उन्हें ये और भी प्रिय है. इसी परंपरा को लोग आज भी मानते हैं.

मोर मुकुट से प्रसन्न होंगे श्रीकृष्ण

मोर मुकुट भगवान कृष्ण की शोभा बढ़ाता है. इस बात का ख्याल रखें की मुकुट में मोर पंख जरूर लगा हुआ हो. मुकुट प्रतिष्ठा के तौर पर धारण करते हैं. जब तक वह गोपाल बनकर रहें उन्होंने पगड़ी धारण की और जब द्वारकाधीश बने तो उन्होंने मुकुट धारण किया था. एक बाद नंद जी ने अपने बेटे को मोर युक्त मुकुट धारण करवाया था. दरअसल, नंद जी भगवान कृष्ण को राजा समान मानते थे.

बांसुरी है कृष्ण को बहुत प्रिय

बांसुरी के बिना तो कृष्ण का श्रृंगार अधूरा माना जाता है. उनका पूरा बचपन बांसुरी के साथ ही बीता है. हालांकि, जब भगवान कृष्ण नंद गांव छोड़कर द्वारका आए तो उन्होंने बांसुरी का त्याग कर दिया था. क्योंकि, उन्होंने सिर्फ राधा के लिए बांसुरी बजाने की कसम खाई थी. इसके बाद उन्होंने राधा के अंतिम क्षण में बांसुरी बजाई थी.

कृष्ण को पहनाएं पगड़ी

बचपन में भगवान श्रीकृष्ण पगड़ी पहनकर गाय चराने जाते थे. दरअसल, उनके पिता नंदजी उन्हें पगड़ी बांधा करते थे. इसलिए उन्हें पगड़ी पहनना बहुत अच्छा लगता है. इसलिए आप मुकुट के अलावा उन्हें पगड़ी भी पहना सकते हैं.

कान्हा को पहनाएं पायल

भगवान श्रीकृष्ण को माता यशोदा बहुत ही प्यार से बचपन में पायल पहनाया करती थी. जब वह छोटे थे तो उनकी पायल की छम छम पूरे घर में गूंजा करती थी. आज भी लोग छोटे बालक को भगवान कृष्ण का ही रूप मानते हैं. इसलिए बालक की पूजा कान्या के रुप में करते हैं और उन्हें उसी तरह पायल भी पहनाते हैं. ऐसा करने से घर में सकारात्मकता रहती है.

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