Bhai Dooj 2021 Puja Vidhi, Muhurat, Significance: पांच दिवसीय दिवाली पर्व (Diwali Parav) का समापन भाई दूज (Bhai Dooj) के दिन होता है. भाई दूज के दिन यमराज और उनकी बहन यमुना की पूजा की परंपरा है. इस साल भाई दूज यानी यम द्वितीया नवंबर महीने की 6 तारीख को मनाया जाएगा.
एक पौराणिक कथा के अनुसार भाई दूज के दिन भगवान श्री कृष्ण नरकासुर राक्षस का वध कर द्वारिका लौटे थे. इस दिन भगवान कृष्ण की बहन सुभद्रा ने फल,फूल, मिठाई और अनेकों दीये जलाकर उनका स्वागत किया था. सुभद्रा ने भगवान श्री कृष्ण के मस्तक पर तिलक लगाकर उनकी दीर्घायु की कामना की थी.
श्री गोवर्धन महाराज, ओ महाराज,
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
तोपे पान चढ़े तोपे फूल चढ़े,
तोपे चढ़े दूध की धार।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
तेरी सात कोस की परिकम्मा,
और चकलेश्वर विश्राम
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
तेरे गले में कण्ठा साज रहेओ,
ठोड़ी पे हीरा लाल।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
तेरे कानन कुण्डल चमक रहेओ,
तेरी झाँकी बनी विशाल।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
गिरिराज धरण प्रभु तेरी शरण।
करो भक्त का बेड़ा पार
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
सबसे पहले बहन-भाई दोनों को मिलकर यम, चित्रगुप्त और यम के दूतों की पूजा करनी है फिर उसके बाद सबको अर्घ्य देना है. बहन अपने भाई की आयु-वृद्धि के लिए यम की प्रतिमा का पूजन कर प्रार्थना करें कि मार्कण्डेय, हनुमान, बलि, परशुराम, व्यास, विभीषण, कृपाचार्य तथा अश्वत्थामा इन 8 चिरंजीवियों की तरह मेरे भाई को भी चिरंजीव कर दें. ये सब करने के बाद इसके बाद बहन भाई को भोजन कराए. इसके बाद भाई यथाशक्ति बहन को भेंट दें. ऐसा कहा जाता है कि इस दिन बहन अपने हाथ से भाई को भोजन कराए तो उसकी उम्र बढ़ती है और उसके जीवन के कष्ट दूर हो जाते हैं.
बिहार में भाई दूज पर एक अनोखी परंपरा निभाई जाती है. इस दिन बहनें भाइयों को डांटती हैं और उन्हें भला बुरा कहती हैं और फिर उनसे माफी मांगती हैं. दरअसल यह परंपरा भाइयों द्वारा पहले की गई गलतियों के चलते निभाई जाती है. इस रस्म के बाद बहनें भाइयों को तिलक लगाकर उन्हें मिठाई खिलाती हैं.
भाई दूज के दिन तिलक से पहले आटा या गोबर से चौक बना लें. चौक बनाते समय ध्यान रखें कि वे उत्तर-पूर्व दिशा में बनाएं. इस चौक पर भाई को बैठाएं. भाई के माथे पर तिलक लगाने के बाद हाथ में कलावा बांधें. इसके बाद दीपक जलाकर भाई की आरती उतारें और उसकी लंबी आयु की कामना करें.
भाई दूज पूजा के लिए एक थाली तैयार की जाती हैं जिसमें रोली, फल, फूल, सुपारी, चंदन और मिठाई रखी जाती है
फिर चावल के मिश्रण से एक चौक तैयार किया जाता है
चावन से बने इस चौक पर भाई को बैठाया जाता है
फिर शुभ मुहूर्त में बहनें भाई को तिलक लगाती हैं
तिलक लगाने के बाद भाई को गोला, पान, बताशे, फूल, काले चने और सुपारी दी जाती है
फिर भाई की आरती उतारी जाती है और भाई अपनी बहनों को गिफ्ट भेंट करते हैं
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