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बड़गांव में छठ के लिए झारखंड, बंगाल और उत्तर प्रदेश से भी आते हैं श्रद्धालु

वर्तमान सूर्य मंदिर में भगवान सूर्य की पालकालीन प्रतिमा स्थापित है. इससे भी स्पष्ट होता है कि पाल राजाओं ने तालाब के समीप मंदिर बनवाया होगा.

देश के 12 प्रमुख सूर्यपीठों में बड़गांव भी एक है. द्वापरकालीन इस सूर्यपीठ में भगवान श्री कृष्ण के पुत्र साम्ब ने सूर्य उपासना, अनुष्ठान और अर्घ दान आरंभ किया था. माना जाता है कि नौवीं सदी में पालवंश के राजा देवपाल ने बड़गांव सूर्य तालाब के पास सूर्य मंदिर का निर्माण कराया था. कुछ लोग इसे उत्तरवर्ती गुप्तकाल का भी बताते हैं. यह मंदिर 1934 के भूकंप में ध्वस्त हो गया था.

वर्तमान सूर्य मंदिर का निर्माण उसी साल नालंदा के समीप के गांव फतेहपुर निवासी अधिवक्ता नवल किशोर प्रसाद सिन्हा ने कराया था. वर्तमान सूर्य मंदिर में भगवान सूर्य की पालकालीन प्रतिमा स्थापित है. इससे भी स्पष्ट होता है कि पाल राजाओं ने तालाब के समीप मंदिर बनवाया होगा. स्थानीय लोगों की मानें तो 15वीं शताब्दी में बड़गांव में दो छोटे सूर्य तालाब थे. 17वीं शताब्दी में तालाब के आकार को बड़ा किया गया. यहां कार्तिक और चैत्र महीने में राजकीय छठ मेला लगता है.

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इस मेले में बिहार के जिलों के अलावा झारखंड, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश आदि प्रदेशों के सूर्य उपासक और छठव्रती अर्घदान के लिए आते हैं. कार्तिक छठ मेला में तो करीब तीन से पांच लाख तक की भीड़ होती है. बिना भेदभाव के सभी वर्ग, जाति और समूह के लोग एकत्रित होकर भगवान सूर्य की पूजा-आराधना के साथ अर्घदान करते हैं. मान्यता है कि सच्चे मन से यहां सूर्य उपासना करने और अर्घदान करने से मनोवांछित फल मिलते हैं.

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