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Chhath Puja 2025: चैती छठ और कार्तिक छठ में क्या अंतर है? जानें व्रत पूजा के नियम और महत्व

Chaiti Chhath Puja 2025: कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि, पंचमी तिथि, षष्ठी तिथि और सप्तमी तिथि तक छठ पर्व मनाया जाता है.

Chaiti Chhath Puja 2024: छठ पूजा साल में दो बार होती है. चैत्र शुक्ल पक्ष षष्ठी पर मनाये जाने वाले छठ पर्व को चैती छठ व कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी पर मनाये जाने वाले पर्व को कार्तिकी छठ कहा जाता है. चैत्र मास और कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि, पंचमी तिथि, षष्ठी तिथि और सप्तमी तिथि तक छठ पर्व मनाया जाता है. षष्ठी माता को कात्यायनी माता के नाम से भी जाना जाता है. इसलिए चैत्र नवरात्रि के दिन में हम षष्ठी माता की पूजा करते हैं. षष्ठी माता कि पूजा घर परिवार के सदस्यों के सुरक्षा एवं स्वास्थ्य लाभ के लिए की जाती हैं. षष्ठी माता की पूजा, सूर्य भगवान और मां गंगा की पूजा देश में एक लोकप्रिय पूजा है. छठ पूजा प्राकृतिक सौंदर्य और परिवार के कल्याण के लिए की जाने वाली एक महत्वपूर्ण पूजा है. छठ पूजा में गंगा स्थान या नदी तालाब जैसे जगह होना अनिवार्य हैं. छठ पूजा के लिए सभी नदी तालाब कि साफ सफाई करने के साथ-साथ नदी तालाब को सजाया जाता है.

क्यों मनाया जाता है छठ

लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा के दौरान व्रती 36 घंटे का निर्जला उपवास रखती हैं. छठ में संतान की लंबी आयु की कामना करते हुए व्रती भगवान सूर्यदेव को अर्घ्य देती हैं. धार्मिक मान्यता है कि छठ पूजा करने से परिवार में सुख, समृद्धि और शांति आती है. छठ पूजा में भगवान सूर्य देव की पूजा का विधान है. संध्या अर्घ्य के दिन भगवान सूर्य को अस्त होते हुए अर्घ्य दिया जाता है. वहीं, अगले दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर छठ पर्व संपन्न किया जाता है. इसलिए इसे सूर्य षष्ठी व्रत भी कहते हैं.

चैती छठ पूजा के नियम क्या है ?

Chhath Puja 2021 Sup Ka Mahatva

छठ पूजा का पर्व नहाय-खाय से शुरू होता है. इस दिन साफ-सफाई करने के बाद सात्विक भोजन बनाने का विधान है. खाने में लहसुन और प्याज का प्रयोग करने से बचना चाहिए. छठ का प्रसाद केवल उन्हीं लोगों द्वारा बनाया जाता है, जिनको यह व्रत रखना है. अगर आप व्रत रख रहे हैं तो प्रसाद बनाते समय स्वच्छता और शुद्धता का पालन जरूर करें. छठ प्रसाद की पवित्रता भंग हुई तो प्रसाद पूजा में प्रयोग करने योग्य नहीं रहेगा और आपकी पूजा अधूर ही रह जाएगी.

छठ पूजा खरना /लोहंडा कब है ?

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खरना: 26 अक्टूबर, रविवार
शाम को रोटी, गुड़ की खीर और फल का भोग लगाया जाता है.
प्रसाद ग्रहण के बाद निर्जला व्रत की शुरुआत होती है.

चैती छठ अर्घ्य कब है

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सूर्य षष्ठी (मुख्य छठ पूजा): 27 अक्टूबर, सोमवार
शाम को घाट पर जाकर डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है.
छठ मईया के गीत गाते हुए विधिपूर्वक पूजा की जाती है.
सूर्योदय अर्घ्य: 28 अक्टूबर, मंगलवार
सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर परिवार की सुख-समृद्धि और संतान की लंबी आयु की कामना.
इसी दिन 36 घंटे तक चलने वाला व्रत समाप्त होता है.

Chaiti Chhath Puja 2024: कब है चैती छठ पूजा? जानें नहाय खाय, पूजा विधि, पूजन सामग्री और सूर्य अर्घ्य का सही समय

Shaurya Punj
Shaurya Punj
रांची के सेंट जेवियर्स कॉलेज से मास कम्युनिकेशन में स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद मैंने डिजिटल मीडिया में 14 वर्षों से अधिक समय तक काम करने का अनुभव हासिल किया है. धर्म और ज्योतिष मेरे प्रमुख विषय रहे हैं, जिन पर लेखन मेरी विशेषता है. हस्तरेखा शास्त्र, राशियों के स्वभाव और गुणों से जुड़ी सामग्री तैयार करने में मेरी सक्रिय भागीदारी रही है. इसके अतिरिक्त, एंटरटेनमेंट, लाइफस्टाइल और शिक्षा जैसे विषयों पर भी मैंने गहराई से काम किया है. 📩 संपर्क : [email protected]

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