सद्गुरुश्री स्वामी आनंद जी
सद्गुरु स्वामी आनंद जी एक आधुनिक सन्यासी हैं, जो पाखंड के धुरविरोधी हैं और संपूर्ण विश्व में भारतीय आध्यात्म व दर्शन के तार्किक तथा वैज्ञानिक पक्ष को उजागर कर रहे हैं. सद्गुरुश्री के नाम से प्रख्यात कार्पोरेट सेक्टर से अध्यात्म में क़दम रखने वाले यह आध्यात्मिक गुरु नक्षत्रीय गणनाओं तथा गूढ़ विधाओं में पारंगत हैं तथा मनुष्य के आध्यात्मिक, सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक व्यवहार की गहरी पकड़ रखते हैं. आप भी इनसे अपनी समस्याओं को लेकर सवाल पूछ सकते हैं. इसके लिए आप इन समस्याओं के संबंध में लोगों के द्वारा किये गये सवाल के अंत में पता देख सकते हैं…
-मैं राजनीति में हूं. लोग मेरे विरुद्ध साज़िश करते रहते हैं. दिवाली पर कोई ऐसा उपाय बताएं, जिससे सारे षड्यंत्रों का अंत हो और शत्रु पराभूत.
अनंत यादव, गोपालगंज
-शत्रुओं के उन्मूलन का आसान उपाय है कि उन्हें मित्र बना लें. अपने विचारों की दिशा बदल कर आप अपने जीवन को समस्त साज़िशों से मुक्त कर लेंगे. सतर्क तो रहें, पर कोई आपके ख़िलाफ़ निरंतर साज़िश कर रहा है, इस भाव को हावी न होने दें, क्योंकि नकारात्मक विचारों के बीजों से सकारात्मक फलों की प्राप्ति संभव नहीं है. विरोधियों की भी प्रशंसा करें. वाणी मधुर और व्यवहार स्नेहपूर्ण रखें. उनके आचरण में सकारात्मकता तलाशें. विरोधी भी आपके समर्थक बन जायेंगे. सिर्फ़ संदर्भ के लिए, दीपावली की रात सिंह लग्न में बगलामुखी यंत्र, मंगल यंत्र, अपराजिता के मूल व हल्दी की साबुत गांठों का पूजन करके उसके समक्ष अपराजिता स्तोत्र का पठन, बगलामुखी मंत्र का जाप और हवन राजनीति मे प्रचंड सफलता का योग निर्मित होता है, ऐसा ज्योतिष और तंत्र के सूत्र कहते हैं.
-क्या दिवाली की रात में हवन कर सकते हैं? कुछ लोग इसे तांत्रिक क्रिया कहते हैं?
अभय सिंह
-हां, दीपावली की महानिशा में होम-हवन के सूत्र हमारी परंपराओं के तानों-बानों में मिलते हैं. यह तांत्रिक क्रिया तो है, पर अनुचित हर्गिज नहीं. तंत्र एक वैज्ञानिक अवधारणा है और हमारी पूजन परंपराओं में रचे-बसे हैं. होम-हवन, शिवलिंग पूजन, नवरात्रि, शिवरात्रि, दिवाली और होली जैसे पर्वों की बुनियाद नितांत वैज्ञानिक है. महाअमावस्या के सिंह लग्न में बेलपत्र, बेल फल, सूखे नारियल, कमलगट्टा, कालातिल, लाल कनेर, खीर, गाय के दुग्ध में सिक्त कमल पुष्प, गुग्गुल, जटामासी, जौ, मधु, गाय का घी, शक्कर व चावल की आहुति ख़ैर,पलाश व आम की लकड़ी पर देने से महाऐश्वर्य की प्राप्ति का योग निर्मित होता है, ऐसा मान्यताएं कहती हैं.
-क्या मैं शनि की साढ़ेसाती और काल सर्प योग के अधीन हूं? कब तक रहूंगा? जन्म तिथि-19.02.1990, जन्म समय-13.33, जन्म स्थान- हाजीपुर.
राजेश पाल
-आपकी राशि वृश्चिक और लग्न मिथुन हैं. आपकी राशि पर इस समय शनि की साढ़ेसाती तो नहीं, पर हां, शनि की अढ़ैया के प्रभाव में है. लेकिन अच्छी ख़बर यह है कि आप 23 जनवरी, 2020 से साढ़ेसाती के प्रभाव से मुक्त हो जायेंगे. आप काल सर्प योग के असर में नहीं हैं.
सदगुरु ज्ञान : धनतेरस में धन और तेरस शब्दों के बारे में मान्यता है कि इस दिन खरीदे गये धन (स्वर्ण, रजत) में 13 गुना अभिवृद्धि हो जाती है. प्राचीन काल से ही इस दिन चांदी खरीदने की परंपरा रही है. इसके पीछे की सोच यह है कि चांदी चंद्रमा का प्रतीक है और धन व मन दोनों का स्वामी है. चंद्रमा शीतलता का प्रतीक भी है और संतुष्टि का भी. संतुष्टि का अनुभव ही सबसे बड़ा धन है. जो संतुष्ट है, वही धनी है और सुखी भी.
पाय, जो जीवन बदले : शहद का सेवन मंगल दोष निवारण में महती भूमिका निभाता है, जबकि पीपल के पत्ते पर काजल रखकर भूमि प्रवाह करने से शनि जनित कष्ट कम होते हैं, ऐसा मान्यताएं कहती हैं. हालांकि अपने सकारात्मक कर्मों का कोई विकल्प नहीं है.
यदि आपकी कोई ज्योतिषीय, आध्यात्मिक या गूढ़ जिज्ञासा हो, तो आप अपनी जन्म तिथि, जन्म समय व जन्म स्थान के साथ कम-से-कम शब्दों में हमें अपना प्रश्न saddgurushri@gmail.com पर भेजें. सब्जेक्ट लाइन में ‘प्रभात खबर’ जरूर लिखें. चुनिंदा सवालों के जवाब प्रकाशित किये जायेंगे.