Saturn Transit in Pisces 2025: शनि ग्रह, जो न्याय का प्रतीक माने जाते हैं, 30 वर्षों के बाद पुनः मीन राशि में गोचर करने जा रहे हैं. शनि का चक्र 30 वर्षों में पूरा होता है, और इसे न्यायधीश का दर्जा प्राप्त है. जब शनि का गोचर होता है, तो कुछ राशियों पर साढ़ेसाती और धैया का प्रभाव समाप्त होता है, जबकि अन्य राशियों में यह प्रभाव शुरू होता है. शनि देव 29 मार्च 2025 को मीन राशि में प्रवेश करेंगे. देवगुरु वृहस्पति और शनिदेव एक-दूसरे के शत्रु माने जाते हैं, जिससे कुछ राशियों को लाभ मिलेगा, जबकि अन्य राशियों को नुकसान का सामना करना पड़ सकता है. इन राशियों को धन और करियर के मामलों में सतर्क रहना आवश्यक होगा.
शनि दोष का प्रभाव
ग्रहों के क्रम में सबसे शुभ ग्रह देवगुरु वृहस्पति माने जाते हैं. इसके बाद शनिदेव का स्थान आता है, जो कि मकर और कुम्भ राशि के स्वामी हैं. शनिदेव तुला राशि में उच्च स्थिति में होते हैं, जबकि मेष राशि में इन्हें नीच माना जाता है. कई लोग शनि की महादशा और गोचर के कारण भयभीत हो जाते हैं. शनि दोनों प्रकार के परिणाम देते हैं, इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि आपके जन्मकुंडली में शनि की स्थिति क्या है. यदि शनि अशुभ स्थिति में है, तो कार्यक्षेत्र में सफलता प्राप्त करना कठिन हो सकता है, कार्य में बाधाएं उत्पन्न होती हैं, धन की हानि होती है और स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है. शक्ति की कमी महसूस होती है. यदि शनिदोष, साढ़ेसाती या धैया जैसी समस्याएं हैं, तो स्थिति और भी गंभीर हो जाती है.
शनि दोष का स्वास्थ्य पर कैसा असर पड़ता है
जन्मकुंडली में शनि की प्रतिकूल स्थिति स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालती है. शनि पेट और पैरों से संबंधित बीमारियों का कारण बनता है, जिससे पैरों में दर्द और पेट की समस्याएँ उत्पन्न होती हैं, जिससे भोजन का पाचन ठीक से नहीं हो पाता. नौकरी में भी कठिनाइयां आती हैं और मानसिक स्थिति अस्थिर रहती है. बातचीत के तरीके में परिवर्तन होता है और व्यक्ति झूठ बोलने की प्रवृत्ति में बढ़ जाता है. धार्मिक कार्यों में मन नहीं लगता और बिना कारण के क्रोध उत्पन्न होता है, साथ ही झूठे आरोप भी लगाए जाते हैं.
इन राशि पर चलेगा ढैया का कष्टकारी
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, जब शनि मीन राशि में गोचर करता है, तब धनु और सिंह राशि के जातकों के लिए कठिन समय की शुरुआत होती है. शनि धनु राशि के चंद्रकुंडली के चौथे भाव में स्थित होगा, जिससे पारिवारिक जीवन में समस्याएँ उत्पन्न होंगी और नौकरी में भी कठिनाइयाँ आएंगी. स्वास्थ्य में गिरावट आएगी और माता के स्वास्थ्य में उतार-चढ़ाव देखने को मिलेंगे. वहीं, सिंह राशि के चंद्रकुंडली में शनि आठवें भाव में गोचर करेगा, जिससे स्वास्थ्य और आय में कमी आएगी, और नौकरी में भी उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ेगा.
इन राशि को शनि की साढ़ेसाती का कष्टकारी समय
न्यायाधीश शनि के गोचर से मेष राशि में साढ़ेसाती की शुरुआत होगी. कुम्भ राशि में शनि तीसरे चरण में हैं, जबकि मीन राशि में वे दूसरे चरण में रहेंगे. मेष राशि के जातकों के लिए साढ़ेसाती का आरंभ होगा, जिसमें शनि द्वादश भाव में स्थित रहेंगे, जिससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं. आर्थिक स्थिति में कमी आएगी और दांपत्य जीवन में अनुकूलता नहीं रहेगी. कोर्ट और कचहरी के मामलों में खर्च में वृद्धि होगी.
अशुभ शनि का लक्षण
- कार्य आरंभ करेगें लेकिन उसमें बाधा उत्पन्न होती है.
- परिवार में आलस और बीमारी बढ़ जाती है.
- संतान मंदबुद्धि होता है.
- सरकारी कार्य से भय बना रहता है.
- पराए स्त्री के साथ सम्बंध स्थापित होता है.
- मकान का आरंभ करेगें लेकिन धन की कमी के कारण मकान रुक जायेगा.
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ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
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