36.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

सारी दुनिया का बोझ उठानेवाले कुली अब नहीं उठा पा रहे परिवार का बोझ, कुलियों ने सरकार से मदद की लगायी गुहार

कुली, जिन्हें रेलवे की भाषा में सहायक कहा जाता है. उनके सामने आजीविका का संकट पैदा हाे गया है. कारण यह है कि लॉकडाउन शुरू होते ही पैसेंजर ट्रेनें बंद हो गयीं. इससे स्टेशनाें पर यात्रियों के सामान उठा कर अपनी रोजी-रोटी कमानेवाले कुली की कमाई भी बंद हो गयी

रांची : कुली, जिन्हें रेलवे की भाषा में सहायक कहा जाता है. उनके सामने आजीविका का संकट पैदा हाे गया है. कारण यह है कि लॉकडाउन शुरू होते ही पैसेंजर ट्रेनें बंद हो गयीं. इससे स्टेशनाें पर यात्रियों के सामान उठा कर अपनी रोजी-रोटी कमानेवाले कुली की कमाई भी बंद हो गयी. रांची स्टेशन पर 29 और हटिया स्टेशन पर सात कुली हैं. इनमें से कई कुली काम नहीं होने के कारण अपने गांव चले गये हैं. वहीं, कई अब भी रांची में रह कर ट्रेनें शुरू होने का इंतजार कर रहे हैं. रांची व हटिया स्टेशन पर काम करनेवाले कुली कहते हैं कि जब ट्रेनें बंद हैं, तो रोजगार कहां से मिलेगा.

हम ट्रेनों की आवाजाही शुरू होने का इंतजार कर रहे हैं, जो फिलहाल अनिश्चित है. रांची से वर्तमान में प्रतिदिन पटना-रांची जनशताब्दी और सप्ताह में तीन दिन रांची-दिल्ली राजधानी ट्रेन ही चल रही है. किसी तरह गुजारा चल रहा है. सरकार हम कुलियों की भी सुधि ले. आर्थिक सहायता मिले. कम से कम इएसआइसी कार्ड बन जाये, ताकि बीमार होने पर अपना इलाज तो करा सकें.

कुलियों ने कहा : कमाई बंद होने से गुजारा होना मुश्किल

मेरे पिता रामचंद्र राम भी स्टेशन पर कुली का काम करते थे. कभी ऐसे दिन देखने की कल्पना तक नहीं की थी. पहले रोजाना औसतन 700-800 रुपये तक की कमाई हो जाती थी. अपना खर्च निकाल कर जो बचता था, उसे घर भेज देते थे. अब अपने पेट के ही लाले पड़े हैं.

राजेश कुमार, छपरा निवासी

पिछले 18 वर्षों से कुली का काम कर रहा हूं. द्वारिकापुरी में किराये के मकान में रहता था. कमाई नहीं होने से कर्ज लेकर सात सदस्यीय परिवार को गांव भेज दिया है. अब कुली आवास में रह रहा हूं. लॉकडाउन में किसी स्वयंसेवी संगठनों की ओर से मिलनेवाले भोजन से पेट भर रहा हूं.

मनोहर कुमार राम, भभुआ निवासी

मकान मालिक किराया मांग कर रहा था, इसके बाद परिवार को गांव भेज दिया. अब स्टेशन पर ही रह रहा हूं. पिछले दो माह से कमाई नहीं हुई है. अब तो जेब में भी पैसा नहीं है. सरकार से कोई सहायता नहीं मिली है. स्थिति यह है कि ना घर के रहे, ना घाट के.

सुनील कुमार, भोजपुर निवासी

Post by : Pritish Sahay

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें