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कोर्ट परिसर और जजों की सुरक्षा पर झारखंड ने दी रिपोर्ट, सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को दिया आखिरी मौका

धनबाद जज हत्याकांड मामले के बाद पूरे देश में कोर्ट और जजों की सुरक्षा व्यवस्था दुरुस्त करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड समेत अन्य राज्यों को 10 दिनों में जवाब दाखिल करने का आखिरी मौका दिया है. हालांकि, झारखंड ने सोमवार को ही जवाब दाखिल कर दिया है.

Dhanbad Judge Murder Update News (रांची) : धनबाद के जज उत्तम आनंद की हत्या के बाद कोर्ट समेत जजों की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर गंभीर हुए सुप्रीम कोर्ट ने 10 दिनों में जवाब दाखिल करने का आखिरी मौका दिया है. सुरक्षा संबंधी मामले में अब तक जवाब दाखिल नहीं करने पर एक आखिरी मौका दिया गया है. हालांकि, झारखंड सरकार की ओर 16 अगस्त, 2021 को ही जवाब दाखिल कर दिया गया है.

भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना की अध्यक्षता वाली 3 न्यायाधीशों की पीठ ने कोर्ट और जज में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सुनवाई कर रहे हैं. इस दौरान CJI ने कहा कि उन राज्यों को आखिरी मौका दिया जा रहा है, जिन्होंने कोर्ट समेत जजों की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर अभी तक अपना जवाब दाखिल नहीं किया है.

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद झारखंड सरकार ने राज्य के सभी जिलों के कोर्ट और जजों की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर जिले के पुलिस अधिकारियों को रिपोर्ट देने को कहा था. निर्देश मिलते ही राज्य के करीब सभी जिलों के पुलिस पदाधिकारियों ने कोर्ट की सुरक्षा व्यवस्था समेत जजों की सुरक्षा को लेकर अपनी-अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को भेजे.

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इसी के आलोक में राज्य सरकार ने 16 अगस्त, 2021 को अपना जवाब सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया है. इस रिपोर्ट में पूरे कोर्ट परिसर, जज समेत आसपास की सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने संबंधी निर्देश का उल्लेख किया गया है.

बता दें कि धनबाद में जिला एवं सत्र न्यायाधीश-8 उत्तम आनंद की संदिग्ध मौत के मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए जजों की सुरक्षा को लेकर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि जजों की सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय स्तर पर रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स या केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल की तरह एक विशेष सुरक्षा बल बनाना व्यावहारिक नहीं है.

मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना, न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायाधीश अनिरुद्ध बोस की खंडपीठ के समक्ष केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जजों और कोर्ट की सुरक्षा राज्य पुलिस बेहतर तरीके से कर सकती हैं. ऐसे में बेहतर होगा कि कोर्ट की सुरक्षा का जिम्मा राज्यों पर छोड़ दिया जाये क्योंकि इसके लिए स्थानीय पुलिस से रोजाना समन्वय बनाना पड़ता है.

Posted By : Samir Ranjan.

Prabhat Khabar Digital Desk
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