Happy Janmashtami 2021, रांची न्यूज (गुलाम रब्बानी) : झारखंड की राजधानी रांची से लगभग आठ किलोमीटर दूर रांची-चंदवे-ओरमांझी पथ पर बोड़ेया गांव का मदन मोहन मंदिर स्थापत्य कला का शानदार नमूना है. मुगल काल में निर्मित 356 वर्ष पुराने इस मंदिर की खूबसूरती अब भी बरकरार है. ग्रेनाइट से बना ये मंदिर 1140 वर्गफीट के चबूतरे पर 12 खंभे पर टिका हुआ है. कोरोना के कारण सादगी से जन्माष्टमी की पूजा की जा रही है.
रांची के बोड़ेया गांव के मदन मोहन मंदिर का निर्माण लक्ष्मी नारायण तिवारी ने कराया था. इसकी नींव संवत 1722 (सन 1665 ईस्वी) में रखी गयी थी. इसके तीन वर्ष बाद मंदिर की चहारदीवारी व दरवाजे की नींव रखी गयी थी. निर्माण में 17 वर्ष लगे थे. कैथी भाषा में लिखे मंदिर के शिलालेख के अनुसार मंदिर निर्माण पर 14,001 रुपये की लागत आयी थी. निर्माण के बाद राधाकृष्ण की सोने की मूर्ति स्थापित हुई, जो 1950 के दशक में चोरी हो गयी. पांच वर्ष बाद राधारानी की मूर्ति भी चोरी हो गयी. तब तत्काल यहां संगमरमर व उसके बाद काला पत्थर की मूर्ति स्थापित की गयी. वर्ष 1982 में फिर यहां राधाकृष्ण की अष्टधातु की मूर्ति स्थापित की गयी, जो दिसंबर 2013 में चोरी हो गयी. इसके बाद 2014 में अष्टधातु की मूर्ति स्थापित की गयी.
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मदन मोहन मंदिर का निर्माण ग्रेनाइट पत्थर से किया गया है. मंदिर 1140 वर्गफीट के चबूतरे पर 12 खंभे पर टिका हुआ है. खंभों की लंबाई छत तक लगभग 12 फीट है. छत पर शानदार नक्काशी है. मंदिर की 3.5 फीट मोटी चहारदीवारी पत्थर से बनी हुई है. मंदिर कमेटी के अध्यक्ष चंद्रभूषण तिवारी ने बताया कि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर यहां ठाकुरबाड़ी में प्रातःकाल से ही विशेष पूजा का अनुष्ठान शुरू हो जाता है. कोरोना के कारण इस वर्ष सादगी से पूजा की जा रही है. सुबह प्रभु के पंचामृत स्नान व शृंगार के बाद दैनिक पूजन किया जा रहा है. दोपहर में भोग व शाम में आरती होगी. रात में जन्माष्टमी की विशेष पूजा की जायेगी. कोरोना को लेकर भजन-कीर्तन नहीं होगा.
Posted By : Guru Swarup Mishra

