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Bihar News: दीवाली पर लोग नहीं माने, रात भर फूटते रहे पटाखे, पटना की हवा फिर हुई खराब

Bihar News: पीएम-10 की मात्रा दीपावली की रात 10 बजे से सुबह 06:00 बजे तक ज्यादा पायी गयी. इस दौरान इसकी अधिकतम मात्रा 1134 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तारामंडल क्षेत्र में दर्ज की गयी.

Bihar News: पटाखों पर बैन के बावजूद दीवाली पर पटना में लोग रात भर पटाखे फोड़ते रहे. इससे शहर का एक्यूआइ 268 पर पहुंच गया. कई जगहों पर पीएम 10 का स्तर 1100 के ऊपर और पीएम 2.5 का स्तर 700 के ऊपर पहुंच गया. ध्वनि प्रदूषण भी कई जगह 100 डेसिबल के खतरनाक स्तर के पार पहुंच गया और इसका अधिकतम स्तर 120 डेसिबल तक रिकॉर्ड किया गया. दीपावली के एक दिन हर का एक्यूआइ 239 था. पीएम-10 की मात्रा दीपावली की रात 10 बजे से सुबह 06:00 बजे तक ज्यादा पायी गयी. इस दौरान इसकी अधिकतम मात्रा 1134 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तारामंडल क्षेत्र में दर्ज की गयी.

796 तक पीएम 2.5 की मात्रा : पीएम 2.5 की अधिकतम मात्रा बीआइटी मेसरा में 796 माइक्रोग्राम प्रतिघन मीटर दर्ज की गयी. इको पार्क में 668, राजकीय हाइस्कूल, पटना सिटी में 642, एसकेएम हॉल में 552, डीआरएम परिसर, दानापुर में 302 माइक्रोग्राम प्रतिघन मीटर रही. इसकी औसत मात्रा 188 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर पायी गयी, जबकि तय मानक के अनुसार यह 60 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर तक होना चाहिए.

दीवाली के दिन बोरिंग रोड चौराहे पर शाम आठ बजे ध्वनि स्तर 82.0 डेसिबल रहा, जो रात 10 से 11 बजे के बीच 120.5 डेसिबल तक पहुंच गया. वहीं, बेलटॉन भवन, शास्त्रीनगर के पास 79.1 डेसिबल, परिवेश भवन, पाटलिपुत्र औद्योगिक क्षेत्र में 110.4 डेसिबल, जुलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, कंकड़बाग के पास 116.4 डेसिबल, तारामंडल के पास 102.5 डेसिबल और हिंदुस्तान कोका कोला परिसर के पास 75.0 डेसिबल तक दर्ज किया गया.

पटाखों के धुएं से बढ़े सांस के मरीज, सरदर्द व घबराहट की भी शिकायत

पटना. पटाखों से निकलने वाले धुएं और शोरगूल से दीवाली के अगले दिन सांस रोगियों की समस्या अधिक देखने को मिली. पुराने अस्थमा रोगी के साथ ही सिरदर्द और घबराहट के अधिक मरीज पीएमसीएच, आइजीआइएमएस व गार्डिनर रोड अस्पताल में शुक्रवार को ओपीडी में पहुंचे. पीएमसीएच में 922 व आइजीआइएमएस में 998 मरीज इलाज कराने पहुंचे थे.

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दोनों अस्पतालों को मिला कर कुल 1920 मरीजों में करीब 400 यानी लगभग 20% मरीज संबंधित बीमारी के पहुंचे थे. दोनों अस्पतालों के चेस्ट व टीबी रोग विभाग में अस्थमा के मरीजों की संख्या अधिक देखने को मिली है. डॉक्टरों की मानें, तो दो दिनों से पटाखे व प्रदूषित वातावरण की वजह से यह समस्या देखने को मिली है.

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