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RJD Crisis: धर्मसंकट में लालू प्रसाद यादव! राजद सुप्रीमो को फैसला लेने में पहली बार हो रही परेशानी? जानिए वजह

राष्ट्रीय जनता दल के अंदर चल रहा घमासान शांत होने का नाम नहीं ले रहा है. शुक्रवार को तेजस्वी यादव और तेजप्रताप यादव ने भी एक दूसरे के ऊपर बयानबाजी शुरू कर दी है. वहीं आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव के लिए अब धर्मसंकट की स्थिति पैदा हो गयी है.

राष्ट्रीय जनता दल के अंदर चल रहा घमासान शांत होने का नाम नहीं ले रहा है. लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव और आरजेडी प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बीच शुरू हुआ विवाद अब और आगे बढ़ चुका है. शुक्रवार को तेजस्वी यादव और तेजप्रताप यादव ने भी एक दूसरे के ऊपर बयानबाजी शुरू कर दी है. वहीं आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव के लिए अब धर्मसंकट की स्थिति पैदा हो गयी है.

राजद के अंदर मचे उथलपुथल के बाद पार्टी के मुखिया लालू यादव के लिए भी मुश्किलें बढ़ गयी हैं. एक तरफ उनके पुराने और भरोसेमंद साथी जगदानंद सिंह हैं तो दूसरे तरफ लालू यादव के अपने ही पुत्र तेज प्रताप यादव.

आपसी विवाद के बाद तेज प्रताप यादव ने स्पस्ट कर दिया है कि जबतक जगदानंद सिंह को पद से हटाया नहीं जाएगा वो नहीं मानेंगे. वहीं जगदानंद सिंह के समर्थन में अब तेजस्वी यादव भी खुलकर आ चुके हैं. मीडिया में बयान देकर उन्होंने तेज प्रताप को नसीहत तक दे दी है कि अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी.

इस पूरे प्रकरण पर अभी तक लालू यादव मौन ही रहे हैं. तेज प्रताप ने भी यह स्पस्ट किया है कि उनके पिता ने तेज प्रताप से कोई बात नहीं की है. तेज प्रताप मीडिया के माध्यम से ही पिता को मैसेज देते दिखे हैं. वहीं जगदानंद सिंह की बात करें तो लालू यादव के दो बेहद करीबीयों में एक जगदानंद सिंह रहे हैं. दूसरे शख्स हरिवंश प्रसाद सिंह थे जिनका निधन हो चुका है.

जगदानंद सिंह को लालू प्रसाद जगदा बाबू कहकर बुलाते हैं. लालू परिवार जब भी संकट की घड़ी में घिरी तब जगदानंद सिंह ने लालू यादव के हर फैसले में उनका साथ दिया है. लालू यादव जेल में थे और तेजस्वी यादव को राजनीति में स्थापित करना एक चुनौती से कम नहीं था. इस समय लालू यादव ने अपने सबसे भरोसेमंद जगदा बाबू को ही ये जिम्मेदारी सौंपी. तेजस्वी और जगदानंद सिंह के बीच हमेसा सही तालमेल देखने को मिला है. जगदानंद सिंह को राजद में अगड़ों का चेहरा माना जाता है. वो पार्टी के अंदर अनुशासन का पालन कराने बेहद सख्त रहे हैं.

2010 के विधानसभा चुनाव में जब जगदानंद सिंह के बेटे ने विरोधी दल भाजपा के टिकट से चुनाव लड़ा तो जगदा बाबू अपने बेटे को ही हराने मैदान में कूद गये थे और उसे हराकर ही माने. वो आज भी इसकी चर्चा करते हैं. लालू यादव के लिए वफादारी का इससे बड़ा उदाहरण नहीं हो सकता है.

जब राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला लालू यादव ने किया तब भी जगदा बाबू इस फैसले के साथ रहे. जबकि वो राजद के संस्थापकों में एक रहे. जगदानंद सिंह बिहार से 6 बार विधायक, एक बार सांसद और कई विभागों में मंत्री रह चुके हैं. 2019 के आम चुनाव में करारी हार मिलने के बाद राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने अपने सबसे सीनियर नेताओं में से एक जगदानंद सिंह को बिहार प्रदेश अध्यक्ष बना दिया था.

बता दें कि राजद के अंदर विवाद तब शुरू हुआ जब छात्र राजद की बैठक के पोस्टर से तेजस्वी यादव की तसवीर को हटा दिया गया. वहीं कार्यक्रम में तेज प्रताप यादव ने जगदानंद सिंह को हिटलर कह दिया. जिसके बाद जगदानंद सिंह नाराज हो गये. करीब दो हफ्ते बाद वो जब वापस लौटे तो तेजप्रताप के बेहद करीबी माने जाने वाले छात्र राजद अध्यक्ष आकाश यादव को पद से हटा दिया. जिसके बाद तेजप्रताप खुलकर हमला करने लगे. वहीं जगदानंद सिंह ने भी तेजप्रताप को जमकर लताड़ लगायी.अब सारी उम्मीदें लालू यादव पर ही टिकी हैं. सबकुछ सामान्य स्थिति में लाना उनके लिए कितना आसान होगा यह देखना बांकी है.

POSTED BY: Thakur Shaktilochan

Prabhat Khabar Digital Desk
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