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Thursday, March 28, 2024

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कोल्हान में हाइब्रिड बेर की खेती में महिला किसानों की बढ़ी दिलचस्पी, जानें कैसे होती अच्छी आमदनी

हाइब्रिड थाई ग्रीन एप्पल यानी हाइब्रिड बेर की खेती में महिला किसान भी दिलचस्पी दिखाने लगी है. जमशेदपुर के गौड़गोड़ा बस्ती की महिला किसान सत्यवती गोप पिछले तीन से इसकी खेती से जुड़ी है. इसके मुताबिक, मुनाफे की खेती है इसकी खेती.

Jharkhand News: पूर्वी सिंहभूम के जमशेदपुर में थाई ग्रीन एप्पल (हाइब्रिड बेर) की खेती में महिला किसानों की दिलचस्पी बढ़ने लगी है. महिला किसान बेर की बागवानी से अच्छी कमाई कर रहे हैं. इन किसानों के मुताबिक, हाइब्रिड बेर मुनाफे की खेती है.

हाइब्रिड बेर की खेती कर रही महिला किसान सत्यवती गोप

कहते हैं काम में महिलाओं का हाथ लग जाने से बरकत होती है. जमशेदपुर शहर के गौड़गोड़ा बस्ती की महिला किसान सत्यवती गोप थाई ग्रीन एप्पल (हाइब्रिड बेर) की खेती कर रही है. बताती हैं कि यह सालभर का फल है. इसमें अधिक मेहनत नहीं करनी पड़ती. इसलिए कोई भी महिला इसे घर के आसपास या खेत में लगा सकती है. वह तीन साल से इसकी खेती कर रही है. उन्होंने बताया कि बस्ती के ही किसान नरेश किस्कू इसकी खेती करते है. जिन्होंने कोलकाता से पौधा मंगाया था.

दिसंबर-जनवरी में आता है फल

उन्होंने बताया कि सिंचाई की सुविधा हो तो इसे जनवरी-फरवरी में लगाया जा सकता है. नहीं तो बारिश का मौसम इसके लिए बेस्ट है. जनवरी-फरवरी में लगाएं या जुलाई (बारिश) में पेड़ में सितंबर में फूल आ जाता है. दिसंबर में फल आने लगता है. दिसंबर अंत और जनवरी में फल तोड़ने लायक हो जाता है.

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25-30 साल फल देता है पेड़, पर्याप्त है गोबर की खाद

गांव के ही कार्तिक मुर्मू ने भी 100 पेड़ लगाया है. वह बताते हैं कि एक बार पेड़ लगाने पर 25-30 साल तक फल देता है. इसमें रासायनिक खाद देने की जरूरत नहीं पड़ती. अच्छी फसल के लिए हर साल गोबर खाद जरूर देना चाहिए. एक पेड़ में औसतन 20 किलो गोबर खाद लगता है. वहीं, सत्यवती बताती हैं कि पशु-पक्षियों से इसकी रक्षा करनी पड़ती है. बकरी से बचाव के लिए बाड़े लगाना चाहिए. चमगादड़, तोता आदि पक्षियों से रक्षा के लिए नेट का प्रयोग करना चाहिए.

मुनाफा ही मुनाफा

कार्तिक बताते हैं कि यह शुद्ध रूप से मुनाफे की खेती है. खर्च के नाम पर केवल गोबर खाद लगता है. जिसकी गांव में दिक्कत नहीं होती. एक पेड़ से 50 किलो से एक क्विंटल तक फल निकलता है. एक कट्ठा में 100 पेड़ लगाये जा सकते हैं. एक पेड़ से 50 किलो फल के हिसाब से 100 गाछ से 5,000 किलो फल आयेगा. बाजार में इसकी बिक्री 50 से 150 रुपये प्रति किलो है. औसतन 100 रुपये प्रति किलो का हिसाब लें तो 5,000 किलो फल की कीमत पांच लाख रुपये आती है.

रिपोर्ट : कन्हैया लाल सिंह, जमशेदपुर.

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