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पलामू में ट्रेन से कटकर युवा और महिलाओं की सर्वाधिक मौत, साढ़े चार साल में 146 मामले दर्ज

पलामू जिले में साढ़े चार वर्षों में 146 लोगों की मौत ट्रेन से कटने की वजह से हुई है. ट्रेन से कटकर मरने वाले लोगों की यह संख्या काफी चिंताजनक है. बताया जाता है कि अधिकांश लोगों ने ट्रेन से कटकर आत्महत्या की है. कुछ ही लोग ऐसे हैं जिनकी मौत ट्रेन की चपेट में आ जाने से हुई है.

शिवेंद्र कुमार, मेदिनीनगर

Palamu News: पलामू जिले में साढ़े चार वर्षों में 146 लोगों की मौत ट्रेन से कटने की वजह से हुई है. ट्रेन से कटकर मरने वाले लोगों की यह संख्या काफी चिंताजनक है. बताया जाता है कि अधिकांश लोगों ने ट्रेन से कटकर आत्महत्या की है. कुछ ही लोग ऐसे हैं जिनकी मौत ट्रेन की चपेट में आ जाने से हुई है. ट्रेन से कटकर आत्महत्या करने के पीछे का आपसी विवाद से उत्पन्न तनाव बताया जाता है. पारिवारिक झगड़ा के कारण इस तरह की घटनाएं अधिकांश हो रही है. जानकारों की मानें, तो मानसिक तनाव में आकर लोग ऐसा कदम उठाते हैं.

कोरोना काल में 50 लोगों की हुई मौत

वजह चाहे जो भी हो, लेकिन तनावग्रस्त व्यक्ति को अपनी जीवन लीला समाप्त करने के लिए सबसे आसान तरीका ट्रेन से कटना ही बेहतर लगता है. रेलकर्मियों का कहना है कि अक्सर यह देखा जाता है कि रेलवे लाइन के किनारे लोग खड़े रहते है और जैसे ही कोई ट्रेन गुजरती है वैसे ही पटरी पर सो जाते है. बचाने का भी अवसर नहीं मिलता. इस तरह की घटना में अधिकांशत: युवा एवं महिलाएं आत्महत्या करती हैं. लोगों की मानें तो किसी काम में असफलता या फिर कलह ही आत्महत्या का कारण बनता है. वर्ष 2020 में कोरोना काल के दौरान 50 लोगों से अधिक आत्महत्या कर जान दे दी.

रेलवे को एक लाश के लिये मिलता है मात्र पांच हजार

रेलवे को एक लाश को घटनास्थल से डाल्टनगंज लाने व पोस्टमार्टम के साथ-साथ उसका बिसरा रखने से लेकर अज्ञात शव का दाह संस्कार करने के लिए मात्र पांच हजार मिलता है. जीआरपी के एक अधिकारी ने बताया कि जो लाश उठाने सफाई कर्मचारी जाता है उसे डेढ़ हजार रुपए दिया जाता है. यदि शव को दूसरे दिन भी रखने पर और डेढ़ हजार रुपया देना पड़ता है.शव को वाहन में भेजने पर एक हजार रुपये किराया देना पड़ता है. जबकि पोस्टमार्टम कराने के लिए डेढ़ हजार का भुगतान करना पड़ता है. अज्ञात शव के लिए दो हजार अतिरिक्त राशि खर्च करनी पड़ती है.

क्या कहते हैं मनोचिकित्सक

सदर अस्पताल के साइक्लोजिस्ट डॉ सुनील कुमार का कहना है कि अवसाद ग्रस्त लोग ही आत्महत्या करते है. किसी भी तरह के मामले सामने आने पर लोगों को अपने गु्स्से पर नियंत्रण रखना चाहिए. लेकिन उनके अंदर आत्मविश्वास व संयम की कमी रहती है. इस वजह से वैसे लोग दिमागी संतुलन खो बैठते है. यही वजह है कि लोग आत्महत्या करने पर मजबूर हो जाते हैं. अक्सर यह देखा जाता है कि आत्महत्या के प्रयास के बाद जो लोग बच जाते है उन्होंने आत्मग्लानि होती है.

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