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चिंताजनक तनातनी

भू-राजनीतिक गतिरोध के कारण अभी तक व्यापार गतिविधियों पर कोई चिंताजनक प्रभाव नहीं पड़ा है. हालांकि, निगरानी और सतर्कता जरूरी है.

रूस और यूक्रेन के बीच बढ़ते तनाव से कोरोनावायरस के प्रभाव से उभर रही अर्थव्यवस्था पर अब आशंकाओं के बादल मंडराने लगे हैं. मौजूदा प्रकरण से कई देशों के सीधे तौर पर सामरिक और आर्थिक हित जुड़े हैं. इससे भारत की आर्थिक चिंताएं भी बढ़ रही हैं. रूस द्वारा यूक्रेन के विद्रोही बहुल दो इलाकों को मान्यता दिये जाने से टकराव की आशंकाओं को बल मिला है, जिससे दुनिया के बाजारों में भी हलचल हुई.

हफ्ते के शुरुआती दिन ही भारतीय शेयर बाजार में दो प्रतिशत की गिरावट आ गयी. कच्चे तेल की कीमतों में तेजी के रुख से भारत की चिंताएं बढ़ना स्वाभाविक है. जाहिर है इससे जनित महंगाई भारतीय रिजर्व बैंक को अपने नरम मौद्रिक रुख को बदलने पर विवश करेगी. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 3.5 प्रतिशत की तेजी के साथ 97 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गयी है.

वहीं, सोना भी 1900 डॉलर प्रति ट्रॉय औंस से ऊपर जा चुका है. वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने भी रूस-यूक्रेन विवाद के मद्देनजर कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों पर चिंता जतायी है. वित्तीय स्थिरता विकास परिषद (एफएसडीसी) की बैठक में कच्चे तेल की दरों पर भी चर्चा की गयी. हालांकि, खुदरा कीमतों पर फैसला तेल विपणन कंपनियों को ही करना है. एशिया-प्रशांत में भारत यूक्रेन के लिए सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य है. अगर अशांति होती है तो द्विपक्षीय व्यापार का प्रभावित होना लाजिमी है.

यूक्रेन भारत के लिए सूरजमुखी तेल का प्रमुख निर्यातक है. साथ ही अकार्बनिक रसायनों, लोहा, इस्पात और प्लास्टिक तथा अन्य रासानयिक उत्पाद भी भारत आयात करता है. वहीं भारत यूरोपीय देशों को फार्मास्युटिकल्स उत्पाद, रिएक्टर/ बायलर, मशीनरी, मेकेनिकल उपकरणों, तेल बीजों, फलों, कॉफी, चाय और मसालों का निर्यात करता है. भारत का द्विपक्षीय व्यापार 2019-20 में 2.52 बिलियन डॉलर रहा, जो 2015-16 से 25 प्रतिशत अधिक है. इस अ‌वधि में आयात जहां 17 प्रतिशत बढ़ा, वहीं निर्यात में 79 प्रतिशत की तेजी आयी है.

जर्मनी और फ्रांस के बाद भारत यूक्रेन का तीसरा सबसे बड़ा फार्मास्युटिकल्स उत्पादों का निर्यातक है. पूर्वी यूरोपीय देश और रूस के बीच बढ़ते तनाव के बावजूद भारत-यूक्रेन द्विपक्षीय व्यापार में बढ़त का रुख रहा है. अशांति के खतरों के बीच अब यूरोपीय संघ से जुड़ी भारतीय कंपनियों पर दबाव बन रहा है, क्योंकि निवेशकों को तनाव बढ़ने से व्यापार के प्रभावित होने का डर है.

खास बात है कि भू-राजनीतिक गतिरोध के कारण अभी तक व्यापार गतिविधियों पर कोई चिंताजनक प्रभाव नहीं पड़ा है. हालांकि, निगरानी और सतर्कता जरूरी है, ताकि निर्यातकों को किसी समस्या का सामना न करना पड़े. भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में रूस-यूक्रेन सीमा पर जारी तनाव को चिंताजनक बताया है और सभी देशों के ‘वैधानिक’ सुरक्षा हितों को देखते हुए तनाव को तत्काल कम करने की अपील की है.

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