नीति आयोग की 10 वीं शासी परिषद की बैठक में प्रधानमंत्री ने विकसित भारत के लक्ष्य की पूर्ति के लिए राज्यों को समुचित तैयारी करने के लिए जिस तरह प्रोत्साहित किया, वह निश्चित तौर पर रेखांकित करने लायक है. इस बार की बैठक की थीम थी, ‘2047 में विकसित भारत के लिए विकसित राज्य’. प्रधानमंत्री ने कहा कि जब हर राज्य विकसित होंगे, तब भारत विकसित होगा. उन्होंने हर राज्य से अपने यहां निवेश और रोजगार को बढ़ावा देने तथा टीम इंडिया की तरह काम करने के लिए कहा. राज्यों को खासकर कृषि, शिक्षा और स्वास्थ्य पर फोकस करने के लिए उन्होंने कहा. कोविड के बढ़ते मामलों के मद्देनजर उन्होंने राज्यों से ऑक्सीजन की उपलब्धता बनाये रखने के लिए कहा. प्रधानमंत्री ने हर राज्य को अपने यहां कम से कम एक पर्यटन स्थल को वैश्विक स्तर पर विकसित करने के लिए भी कहा. उनका कहना था कि आत्मनिर्भर भारत और वोकल फॉर लोकल के जरिये आत्मनिर्भर भारत का लक्ष्य हासिल किया जा सकता है. कामकाजी लोगों में ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को शामिल करने पर जोर देने के साथ उन्होंने ऐसी नीतियां बनाने के लिए भी कहा, जिसका लाभ आम आदमी को मिले. बैठक में हालांकि बिहार, पश्चिम बंगाल, केरल, कर्नाटक और पुदुचेरी के मुख्यमंत्री नहीं आये. लेकिन खासकर विपक्ष शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने बैठक में अपनी मांगें भी रखीं.
जैसे, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य के वन क्षेत्रों को पूर्वोत्तर के समकक्ष बताते हुए कहा कि पूर्वोत्तर को मिलने वाली विशेष सुविधाएं झारखंड को भी दी जायें. आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने उत्तर भारत की बढ़ती आबादी के मद्देनजर आंध्र की घटती आबादी का मुद्दा उठाते हुए जनसंख्या प्रबंधन पर नीति आयोग का एक उप-समूह बनाने का अनुरोध किया. ऐसे ही तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने केंद्रीय करों में राज्य का हिस्सा बढ़ाकर 50 फीसदी करने की मांग की, तो हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री का कहना था कि केंद्र को पहाड़ी राज्यों का ध्यान रखना चाहिए. पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान का कहना था कि राज्य में पानी की भारी कमी को देखते हुए सतलुज-यमुना लिंक नहर की बजाय यमुना-सतलुज लिंक नहर बनाने पर विचार करना चाहिए. तेलंगाना के मुख्यमंत्री ने दिल्ली और मुंबई की तर्ज पर हैदराबाद समेत राज्य के छह मेट्रो शहरों के विकास पर जोर देने की अविलंब जरूरत बतायी. बैठक में सभी मुख्यमंत्रियों ने पहलगाम हमले की कड़ी निंदा करते हुए ऑपरेशन सिंदूर के प्रति जिस तरह अपनी एकजुटता का प्रदर्शन किया, वह भी उल्लेखनीय था.