अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में ब्रेटबार्ट न्यूज को दिये गये एक साक्षात्कार में यह कहा कि यद्यपि भारत के साथ उनके रिश्ते बहुत अच्छे हैं, लेकिन भारत के साथ एकमात्र समस्या यह है कि वह दुनिया में सबसे अधिक शुल्क लगाने वाले देशों में से एक है. इसके साथ-साथ ट्रंप ने यह भरोसा भी जताया कि भारत शायद उन शुल्कों में अब काफी कटौती करने जा रहा है. फिर भी दो अप्रैल से हम भारत से वही शुल्क वसूलेंगे, जो भारत हमसे वसूलता है. विभिन्न वैश्विक रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि जब ट्रंप भारत सहित विभिन्न देशों को टैरिफ चक्रव्यूह में लेते जा रहे हैं और वैश्विक मंदी की आशंका है, तब भारत की बढ़ती मजबूत घरेलू मांग उसकी नयी आर्थिक शक्ति बन गयी है.
हाल ही में ग्लोबल रेटिंग एजेंसी फिच ने कहा है कि हालांकि अमेरिका की आक्रामक ट्रेड पॉलिसी एक बड़ा जोखिम है, पर भारत इससे काफी हद तक अप्रभावित रहेगा. रिपोर्ट कहती है कि बाहरी मांग पर कम निर्भरता और पर्याप्त आत्मनिर्भरता के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था इसके व्यापक असर से बची रहेगी. फिच ने इससे पहले भारत की संप्रभु रेटिंग के परिदृश्य को स्थिर बताते हुए कहा कि देश का विकास मजबूत दिख रहा है. उसने भारत की दीर्घकालिक विदेशी मुद्रा जारीकर्ता डिफॉल्ट रेटिंग को स्थिर परिदृश्य के साथ ‘बीबीबी’ के स्तर पर रखा है. उसके मुताबिक, भारत की रेटिंग अन्य देशों की तुलना में मजबूत ग्रोथ और बाहरी वित्तीय लचीलापन दर्शा रही है, जिससे अर्थव्यवस्था को पिछले साल के बड़े बाहरी झटकों से पार पाने में मदद मिली है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अगले वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी ग्रोथ 6.5 फीसदी रहेगी. साथ ही, अगले कुछ वर्षों तक भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया की सबसे तेज गति से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था बनी रहेगी. वित्तीय सेवा कंपनी मॉर्गन स्टेनली की ताजा रिपोर्ट में भी कहा गया है कि भारत घरेलू मांग की ताकत पर 2028 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जायेगा. रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में 3.5 ट्रिलियन डॉलर वाली भारतीय अर्थव्यवस्था 2026 तक 4.7 ट्रिलियन डॉलर की हो जायेगी और अमेरिका, चीन व जर्मनी के बाद दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जायेगी. जबकि 2028 तक यह 5.7 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचकर जर्मनी से भी आगे निकल जायेगी.
उपभोक्ता बाजार को देश का मध्यम वर्ग निसंदेह नयी आर्थिक ताकत दे रहा है. आर्थिक सुधारों के साथ ऊंची विकास दर और शहरीकरण की ऊंची वृद्धि दर के बलबूते भारत में मध्यवर्ग के लोगों की संख्या तेजी से बढ़ी है. ‘द राइज ऑफ मिडिल क्लास इंडिया’ नामक डॉक्यूमेंट के मुताबिक, भारत में मध्यवर्ग का आकार तेजी से बढ़कर 2020-21 में करीब 43 करोड़ हो गया है और 2047 तक यह संख्या बढ़कर 102 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है. इस वर्ग को पांच से 30 लाख रुपये की वार्षिक आय वाले परिवारों के रूप में परिभाषित किया गया है. नये टैरिफ युद्ध की बढ़ती आशंकाओं के बीच भारत का मध्यवर्ग भारतीय अर्थव्यवस्था की नयी शक्ति बन गया है. मध्यवर्ग की मुट्ठियों में बढ़ती क्रयशक्ति और जेनरेशन जी एवं मिलेनियल्स की आंखों में उपभोग और खुशहाली के जो सपने दिखायी दे रहे हैं, उनके कारण जहां दुनिया के कई देश भारत से आर्थिक और कारोबारी संबंध बढ़ाने के लिए तत्पर हैं, वहीं दुनिया की बड़ी कंपनियां नामी ब्रांडों के साथ भारत के बहुआयामी उपभोक्ता बाजार में नयी रणनीतियों के साथ दस्तक दे रही हैं. वैश्विक खुदरा सेवाओं से जुड़ी कंपनियां भारत में तेजी से पैर पसार रही हैं.
निसंदेह इस समय जब ट्रंप के टैरिफ वार की आशंका से दुनिया में बहुत तेजी के साथ आर्थिक और कारोबारी उठापटक चल रही है, तब दुनिया में हो रहे इस बदलाव के मद्देनजर हमें भी भारत के आर्थिक और कारोबारी हितों को सबसे पहले और सबसे ऊपर रखना होगा. इस समय वैश्विक व्यापार नये सिरे से दोबारा स्थापित होने जा रहा है. विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) अब मुख्य स्तंभ के रूप में नहीं बचा है और सबसे पसंदीदा राष्ट्र (एमएफएन) के दर्जे के तहत गैर-भेदभावपूर्ण शुल्क खत्म हो रहे हैं. आज दुनिया का हर देश यह चाहता है कि उसके साथ विशेष व्यवहार किया जाए. हमें उसी रास्ते पर चलना होगा तथा देश की मजबूत घरेलू मांग और मध्यम वर्ग की चमकती हुई क्रय शक्ति को आधार बनाकर दुनिया के विभिन्न देशों के साथ आर्थिक और कारोबारी संबंधों को नयी दिशा देना होगी. ट्रंप की टैरिफ संबंधी नयी चुनौतियों के बीच भारत की बढ़ती हुई मजबूत घरेलू मांग निसंदेह भारत की नयी आर्थिक शक्ति है. ऐसे में, भारत घरेलू बाजार में तेजी से खपत बढ़ाने की रणनीति के साथ अमेरिका से टैरिफ वार के मुकाबले के लिए सुनियोजित रूप से आगे बढ़ते हुए दिखायी देगा. इसके साथ ही मजबूत घरेलू बाजार की रणनीति देश को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के संकल्प को पूरा करने की दिशा में भी मील का पत्थर बनते हुई दिखाई देगी. कुल मिलाकर कहें, तो भारत में बढ़ता मध्यवर्ग का आकार और घरेलू मांग में लगातार आ रही उछाल उसकी अर्थव्यवस्था की शक्ति साबित हो रही है.
(ये लेखक के निजी विचार हैं.)