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सुधार की राह पर अर्थव्यवस्था

कोरोना के कारण विकास का पहिया रुक गया था, लेकिन यह कहना सही नहीं होगा कि आर्थिक हालात में सुधार नहीं हो रहा है. विकास की गाड़ी आगे बढ़ने लगी है.

सतीश सिंह, वरिष्ठ अधिकारी, भारतीय स्टेट बैंक

satish5249@gmail.com

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने 27 अक्तूबर को कहा कि अर्थव्यवस्था में सुधार हो रहा है, लेकिन सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) नकारात्मक रहेगा. प्राथमिक तौर पर इस बयान में विरोधाभास दिखता है, लेकिन वास्तविकता में इसमें विरोधाभास नहीं है़ भारतीय रिजर्व बैंक के आकलन के अनुसार, वित्त वर्ष 2020-21 में जीडीपी दर ऋणात्मक 9.5 प्रतिशत रह सकती है. चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी के नकारात्मक रहने के बाद सितंबर और दिसंबर तिमाहियों में भी जीडीपी के नकारात्मक रहने का अनुमान है.

दूसरी तिमाही में यह 9.8 प्रतिशत और तीसरी तिमाही में 5.6 प्रतिशत नकारात्मक रह सकती है. हालांकि, चौथी तिमाही से आर्थिक हालात में सुधार का अनुमान है और यह सकारात्मक होकर 0.5 प्रतिशत रह सकता है. इन अनुमानों से साफ है कि अभी आर्थिक हालात प्रतिकूल हैं, लेकिन अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत दिखने लगे है़ं

इससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि चालू वित्त वर्ष के अंत में जीडीपी सकारात्मक रह सकती है़ यह सच है कि कोरोना के कारण विकास का पहिया रुक गया था, लेकिन यह कहना सही नहीं होगा कि आर्थिक हालात में सुधार नहीं हो रहा है़ विकास की गाड़ी आगे बढ़ने लगी है. वार्षिक आधार पर सितंबर में टाटा मोटर्स की बिक्री 37 प्रतिशत बढ़ी है, जबकि मारुति सुजुकी की बिक्री 30 प्रतिशत, बजाज ऑटो की बिक्री 10 प्रतिशत और हुंडइ इंडिया की बिक्री 23.6 प्रतिशत बढ़ी है़ सितंबर में निर्यात में 5.27 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक और इंजीनियरिंग वस्तुओं की अहम भूमिका रही़

इनमें क्रमश: 0.04 प्रतिशत और 3.73 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि दवाओं एवं दवा के उत्पादों का निर्यात 24.36 प्रतिशत बढ़ा. अगस्त के बाद से बैंकों की उधारी मांग में वृद्धि हो रही है़ पर्सनल लोन में क्रेडिट ग्रोथ अगस्त महीने में 10.6 प्रतिशत रही है़ बैंकों को उम्मीद है कि अगले कुछ पखवाड़े में उधारी की मांग में अच्छी बढ़त होगी, क्योंकि त्योहारी मौसम में ग्राहकों की खरीदी बढ़ी है़ बाजार के आंकड़े जुटाने वाली कंपनी ‘रेडसीर’ के अनुसार, दुर्गा पूजा में ऑनलाइन कंपनियों ने 4.1 अरब डॉलर के सामान बेचे, जबकि पिछले वर्ष 2.7 अरब डॉलर का सामान बेचा गया था़

14 अक्तूबर, 2020 को प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत खोले गये खातों की संख्या 41.05 करोड़ पहुंच गयी, जिनमें 1,30,741 करोड़ रुपये जमा थे़ अप्रैल 2020 से 14 अक्तूबर, 2020 तक तीन करोड़ जनधन खाते खोले गये, जिससे इनमें 11,060 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई, जबकि वर्ष 2019 की समान अवधि में केवल 1.9 करोड़ जनधन खाते खोले गये थे और इनमें महज 7,857 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई थी़

इस तरह यदि पिछले वर्ष से तुलना की जाये तो इस वर्ष नये जनधन खातों में 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई़ कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल से अगस्त में 25 लाख नये सदस्य भविष्य निधि से जुड़े, जिनमें से 12.4 लाख सदस्य पहली बार जुड़े थे़ अप्रैल में तालाबंदी की वजह से मजदूरों या कामगारों द्वारा किया जाने वाला रेमिटेंस रुक गया था, लेकिन जून और जुलाई में इसमें बेहतरी आयी़

हालांकि, अगस्त में इसमें पुनः कमी आयी, लेकिन सितंबर में रेमिटेंस का आंकड़ा फरवरी के स्तर पर पहुंच गया़ इससे यह भी पता चलता है कि अधिकांश मजदूर, कामगार वापस काम पर लौट चुके हैं और बचे हुए दीवाली एवं छठ के बाद काम पर लौट सकते है़ं कोरोना महामारी की वजह से बदहाल हुई विनिर्माण गतिविधियां फिर से पटरी पर लौट रही है़ं इस्पात और उससे तैयार होने वाले विविध उत्पादों में इस्तेमाल होने वाली वस्तुओं की मांग बढ़ने से इसमें तेजी आयी है़ विनिर्माताओं को नये ऑर्डर मिलने लगे है़ं सितंबर के मुकाबले अक्तूबर में विविध उत्पादों की बिक्री में 12 वर्षों में सबसे तेज इजाफा हुआ है़

आइएचएस मार्किट द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, अक्तूबर में देश में विनिर्माण पर्चेंजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआइ) 58.9 तक पहुंच गया़ वर्ष 2010 के बाद पीएमआइ का यह सर्वश्रेष्ठ स्तर है़ सितंबर में भी विनिर्माण पीएमआइ आठ वर्षों के सर्वोच्च स्तर 56.8 पर था़ पीएमआइ 50 से अधिक होने का अर्थ है, पिछले महीने की तुलना में विनिर्माण गतिविधियां बढ़ी है़ं पीएमआइ की तुलना बीते वर्ष की जगह बीते महीने से की जाती है़

पीएमआइ के पिछले महीने के आंकड़ों के अनुसार, अगस्त में विनिर्माण पीएमआइ 52 पर रहा, जो जुलाई के 46 से ज्यादा है़ पचास से ऊपर पीएमआइ कारोबार में विस्तार, जबकि इससे कम संकुचन दर्शाता है़ अप्रैल में पीएमआइ 27.4 के ऐतिहासिक निचले स्तर पर था, लेकिन अगस्त से इसमें लगातार सुधार हो रहा है़ अक्तूबर में जीएसटी संग्रह विगत आठ महीनों में पहली बार एक लाख करोड़ से ज्यादा हुआ है़ इतना ही नहीं, पिछले वर्ष के समान महीने से जीएसटी संग्रह 10 प्रतिशत अधिक रहा है़ अक्तूबर 2019 में, जीएसटी संग्रह 95,379 करोड़ रहा था़

इस वर्ष अक्तूबर में जीएसटी संग्रह 1,05,155 करोड़ हुआ है़ अक्तूबर के अंत में जीएसटीआर-3बी रिटर्न की संख्या भी 80 लाख से ऊपर पहुंच गयी़ आर्थिक संकट के बादल धीरे-धीरे छंट रहे हैं. अधिकांश क्षेत्रों में सुधार के संकेत दिख रहे हैं. दुर्गा पूजा में आर्थिक गतिविधियों में तेजी आयी है़ दीवाली में इसमें और तेजी आने की संभावना है़ आर्थिक सुधार की डगर आसान नहीं है, लेकिन कुछ समय बाद हालात सुधर सकते है़ं हालांकि, कुछ क्षेत्रों में कृत्रिम संकट की स्थिति भी दिख रही है़

(ये लेखक के निजी विचार हैं)

Posted by : Pritish Sahay

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