FDI hike : भारतीय रिजर्व बैंक के ताजा मासिक बुलेटिन के मुताबिक, वैश्विक चुनौतियों के बीच देश में शुद्ध प्रत्यक्ष विदेशी निवेश मौजूदा वित्त वर्ष में अप्रैल से जुलाई के बीच सालाना आधार पर 208.57 फीसदी बढ़ कर 10.8 अरब डॉलर हो गया. एक साल पहले की समान अवधि में यह 3.5 अरब डॉलर रहा था. जबकि सकल एफडीआइ एक साल पहले से 33.2 प्रतिशत बढ़ कर 37.7 अरब डॉलर हो गया. पिछले वित्त वर्ष में अप्रैल से जुलाई की अवधि में 28.3 अरब डॉलर का एफडीआइ आया था.
केंद्रीय बैंक के अनुसार, इस साल अप्रैल से जुलाई तक की अवधि में सिंगापुर, अमेरिका, मॉरीशस, संयुक्त अरब अमीरात और नीदरलैंड एफडीआइ के शीर्ष स्रोत रहे, जिनकी कुल निवेश में 76 फीसदी हिस्सेदारी रही. विनिर्माण, कंप्यूटर सेवाओं, व्यावसायिक संचार और वित्तीय सेवाओं के साथ-साथ निर्माण तथा बिजली उत्पादन के क्षेत्रों में कुल 74 प्रतिशत एफडीआइ आया. हालांकि जुलाई में चार साल के उच्च स्तर पर पहुंचने के बाद अगस्त में सकल एफडीआइ घट कर छह अरब डॉलर रह गया, जो जुलाई के 11.11 अरब डॉलर से 5.11 अरब डॉलर कम है.
अगस्त में विदेशी कंपनियों की ओर से धन वापसी 30 प्रतिशत बढ़ कर 4.9 अरब डॉलर पर पहुंच गया. इससे शुद्ध एफडीआइ 61.6 करोड़ डॉलर के आउटफ्लो (निकासी) में बदल गया. बुलेटिन के मुताबिक, अगस्त में भारतीयों ने विदेश यात्रा पर 1.61 अरब डॉलर खर्च किये, जो जुलाई के 1.14 अरब डॉलर से ज्यादा है. ऐसे ही, विदेश में शिक्षा पर खर्च मासिक आधार पर 39 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 31.9 करोड़ डॉलर हो गया. जबकि विदेश में रहने वाले प्रवासी भारतीयों ने अगस्त में देश में 2.6 अरब डॉलर की रकम भेजी. यह जुलाई की तुलना में 7.7 प्रतिशत अधिक है.
बुलेटिन में कहा गया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में उथल-पुथल भारत की वृद्धि दर के लिए गंभीर चुनौतियां पेश कर रही हैं. इन चुनौतियों के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था ने लचीलपेन का प्रदर्शन किया है. इसमें यह भी कहा गया है कि वैश्विक नरमी के बावजूद देश की अर्थव्यवस्था मजबूत घरेलू मांग, सरकारी खर्च और निर्यात के विविधीकरण से लाभान्वित हो रही है और रूस से कच्चे तेल की खरीद के जवाब में अमेरिका की तरफ से लगाया गया टैरिफ भारत के विकास के लिए खतरा नहीं है, क्योंकि देश अब वैश्विक व्यापार पर निर्भरता घटा रहा है. निर्यात में वृद्धि के बाद एफडीआइ में वृद्धि अर्थव्यवस्था की मजबूती के बारे में बताती है.

