24.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

लेटेस्ट वीडियो

राजनीतिक कामयाबी की शर्त है बेहतर अर्थनीति

Economic policy : बेशक मोहन यादव मुख्यमंत्री बनने से पहले शिवराज सरकार में शिक्षा मंत्री थे, पर राज्य के बाहर उनकी बड़ी पहचान नहीं थी. परंतु बीते 25 और 26 फरवरी को भोपाल में सफल ग्लोबल इन्वेस्टर मीट के आयोजन और उसमें मिले भारी-भरकम निवेश प्रस्तावों के बाद उनका कद बढ़ना स्वाभाविक है.

Audio Book

ऑडियो सुनें

Economic policy : रीगन-थैचर थ्योरी वाली अर्थव्यवस्था आज वैश्विक स्तर पर स्वीकार्य हो गयी है. राजकाज में अर्थव्यवस्था का महत्व हमेशा से रहा है, परंतु उदारीकरण के दौर में अर्थव्यवस्था राजनीति का केंद्रीय विषय बन गयी है. ऐसे माहौल में राजनीतिक कामयाबी की शर्त के लिए बेहतर आर्थिकी ना होती तो ही हैरत होती. शायद यही वजह है कि अब राजनीति चाहे किसी भी विचारधारा वाली क्यों न हो, सत्ता में आने के बाद उसकी प्राथमिकता आर्थिकी को सुधारने और अपने लिए अधिकाधिक निवेश हासिल करना हो गयी है. इस दौर में जितना ज्यादा निवेश आकर्षित हुआ, राजनीतिक कामयाबी की संभावना उतनी ही बढ़ जाती है.

इन संदर्भों में कह सकते हैं कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव अपने नेतृत्व को राज्य में स्थापित करने की दिशा में आगे बढ़ते नजर आ रहे हैं. वर्ष 2023 के विधानसभा चुनावों के बाद बीजेपी ने मध्य प्रदेश की कमान मोहन यादव को जब सौंपी थी, तब राज्य बीजेपी में दिग्गज नेताओं की भरमार थी.


बेशक मोहन यादव मुख्यमंत्री बनने से पहले शिवराज सरकार में शिक्षा मंत्री थे, पर राज्य के बाहर उनकी बड़ी पहचान नहीं थी. परंतु बीते 25 और 26 फरवरी को भोपाल में सफल ग्लोबल इन्वेस्टर मीट के आयोजन और उसमें मिले भारी-भरकम निवेश प्रस्तावों के बाद उनका कद बढ़ना स्वाभाविक है. इस समिट में मध्य प्रदेश सरकार को कुल 26 लाख, 61 हजार करोड़ के निवेश प्रस्ताव मिले, जिनमें से अडानी समूह की ओर से अकेले दो लाख, दस हजार करोड़ के निवेश का प्रस्ताव मिला. मध्य प्रदेश जैसे बहुरंगी राज्य में भारी-भरकम निवेश प्रस्ताव का आना स्वाभाविक है.

समिट के पहले, संभाग स्तर पर भी मध्य प्रदेश सरकार निवेशकों को आमंत्रित करती रही. उसमें भी उसे करीब चार लाख करोड़ के प्रस्ताव मिले. यदि ये प्रस्ताव शत-प्रतिशत अंदाज में लागू हुए, तो उम्मीद की जा रही है कि इससे राज्य में सीधे तौर पर सत्रह लाख, चौंतीस हजार रोजगार पैदा होंगे, जबकि उससे जुड़ी गतिविधियों से राज्य की अर्थव्यवस्था को और गति मिलेगी और दूसरे छोटे कारोबार तथा दूसरे तरह के रोजगार भी बढ़ेंगे. मध्य प्रदेश में पिछले दस वर्ष के निवेश प्रस्तावों के कार्यान्वयन के आंकड़ों को देखें, तो पहले पांच वर्ष में प्रस्तावों के दस प्रतिशत निवेश का ही जमीनी क्रियान्वयन हो पाया है.


आधुनिक आर्थिकी का फॉर्मूला है कि यदि एक रुपया कारोबारी अर्थव्यवस्था में डाला जाता है, तो वह चार रुपये की आर्थिकी में तब्दील होता है और वही रुपया यदि खेती-किसानी में जाता है, तो खेती-किसानी की आर्थिकी में वह साढ़े तीन गुना की आर्थिकी बनाता है. मध्य प्रदेश के निवेश प्रस्तावों को इस फॉर्मूले के नजरिये से भी बेहद उम्मीद से देखा जा रहा है. मध्य प्रदेश बीते एक दशक से बड़े राज्यों में तेजी से विकसित होने वाला राज्य है. राज्य को सबसे ज्यादा, करीब आठ लाख, 616 हजार करोड़ के निवेश प्रस्ताव औद्योगिक नीति और निवेश विभाग के लिए मिले हैं, इसके बाद करीब पांच लाख, 72 हजार करोड़ के निवेश प्रस्ताव नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र के लिए मिले हैं.

मध्य प्रदेश की जैसी स्थिति है, उस कारण यदि ये निवेश प्रस्ताव जमीनी हकीकत बने, तो आने वाले दिनों में यह राज्य नवीन ऊर्जा का केंद्र बन जायेगा. निवेश प्रस्तावों की चर्चा करते समय हमें पिछली शताब्दी के अंतिम वर्षों को भी याद कर लेना चाहिए. जब केंद्र में वाजपेयी सरकार थी, तो उसने उदारीकरण के अगले चरण की शुरुआत की थी. इसके तहत अर्थव्यवस्था में एफडीआइ का जोर बढ़ा. प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हासिल करने के लिए केंद्रीय स्तर पर तेज प्रयासों के साथ ही राज्य सरकारों में भी होड़ मची. तब वामपंथ शासित पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा के साथ ही बिहार जैसे राज्यों ने एफडीआइ में अपनी नीतियों के चलते दिलचस्पी नहीं दिखाई या फिर कानून-व्यवस्था की स्थिति के चलते निवेशक वहां आने से हिचकते रहे. बाद के दिनों में पश्चिम बंगाल की बुद्धदेव भट्टाचार्य सरकार ने पश्चिम बंगाल में तेजी से निवेश करने की कोशिश की, तो वहां की राजनीति में भूचाल आ गया.


पर अब तो पश्चिम बंगाल में भी कहा जाने लगा है कि यदि बुद्धदेव भट्टाचार्य की निवेश कोशिशें परवान चढ़तीं और राजनीति नहीं होती, तो पश्चिम बंगाल की आर्थिक स्थिति कुछ और होती. बंगाल के सिंगुर प्रोजेक्ट को ही गुजरात में सफलतापूर्वक स्थापित करने के बाद नरेंद्र मोदी ने विकास के गुजरात मॉडल का फॉर्मूला पेश किया और देखते ही देखते आर्थिक सफलता के साथ वे राजनीति की सीढ़ियां चढ़ते चले गये. मध्य प्रदेश में भी कुछ उसी अंदाज में निवेश की उम्मीद जतायी जा रही है और माना जा रहा है कि यदि ये निवेश सफल हुए, तो मध्य प्रदेश की छवि औद्योगिक और कारोबारी राज्य के रूप में उभरेगी. यदि ऐसा होता है, तो मोहन यादव का नेतृत्व मध्य प्रदेश में नये रूप में उभर सकता है. परंतु यदि निवेश प्रस्ताव असफल हुए, वे पूरी तरह जमीनी स्तर पर नहीं उतरे, तो तय है कि इससे राज्य प्रशासन और सरकार की किरकिरी होगी, इसका असर मोहन यादव की राजनीति पर भी पड़ सकता है. इसलिए जरूरी है कि वे इसे पूरा करें.
(ये लेखक के निजी विचार हैं.)

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel