25.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

व्यावहारिक पहल हो

कोरोना संक्रमण से बचाव का प्रभावी तरीका टीका ही है. इस संबंध में जो समस्याएं हैं, उन्हें राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का हथियार बनाने से बचा जाना चाहिए.

इस पखवाड़े टीकाकरण अभियान के छह माह पूरे हो जायेंगे. टीकों की आपूर्ति बाधित होने तथा कोरोना महामारी की दूसरी लहर आने से अपेक्षित संख्या में लोगों को खुराक नहीं दी जा सकी है. देश में बन रहे टीकों का उत्पादन बढ़ाने की कोशिशों के साथ केंद्र सरकार कुछ बड़ी विदेशी कंपनियों से टीका खरीदने और भारत में बनाने की संभावनाओं पर बातचीत कर रही है.

समुचित मात्रा में टीकों की खुराक की उपलब्धता न हो पाने से टीकाकरण प्रक्रिया धीमी गति से चल रही है और अनेक राज्यों में 18-45 साल आयु वर्ग को टीके नहीं दिये जा रहे हैं. उल्लेखनीय है कि अभियान के पहले और दूसरे चरण में स्वास्थ्यकर्मियों समेत अग्रिम मोर्चे पर महामारी का मुकाबला कर रहे कर्मचारियों तथा 45 से अधिक आयु के लोगों को निशुल्क खुराक देने का प्रावधान था, लेकिन तीसरे चरण में राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों और निजी अस्पतालों को 18-45 साल आयु वर्ग के लिए कंपनियों द्वारा निर्धारित दाम पर टीका लगाने की अनुमति दी गयी.

उपलब्ध टीके के आधे हिस्से को खरीद के लिए निर्धारित किया गया. इस कदम से अनेक सवाल उठ खड़े हुए हैं. सर्वोच्च न्यायालय ने इस व्यवस्था को अतार्किक और मनमाना कहा है. कई राज्य सरकारों और संगठनों द्वारा निशुल्क टीकाकरण की मांग भी की जा रही है. हालांकि राज्यों ने खरीद के बावजूद लोगों को बिना दाम लिये खुराक देने की घोषणा की है, लेकिन अनेक राज्यों ने वित्तीय भार बढ़ने की शिकायत भी की है. टीकों की कमी दूर करने के लिए कुछ राज्यों ने विदेशों से टीके खरीदने की कोशिश भी की, लेकिन कानूनी व तकनीकी वजहों से कंपनियों ने आपूर्ति देने से मना कर दिया.

उनका कहना है कि वे केंद्र सरकार के साथ ही इस संबंध में करार करना चाहेंगी. विभिन्न राज्यों का कहना है कि घरेलू या विदेशी बाजार से टीकों की खरीद केंद्र सरकार ही करे और फिर उन्हें राज्यों में वितरित करे. इसी के साथ सार्वभौमिक निशुल्क टीकाकरण की मांग भी की जा रही है. केंद्र और राज्य सरकारों के तर्क अपनी जगह सही हो सकते हैं, लेकिन मुख्य लक्ष्य लोगों को टीकों की खुराक देने का होना चाहिए क्योंकि कोरोना संक्रमण से बचाव का प्रभावी तरीका यही है.

इस संबंध में जो समस्याएं देश के सामने हैं, उन्हें राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का हथियार बनाने से बचा जाना चाहिए. केंद्र सरकार को भी राज्यों की बात गंभीरता से सुनना चाहिए और राज्यों को भी केंद्र की परेशानियों को समझने की कोशिश करनी चाहिए. इस तनातनी के माहौल में यह संतोषजनक है कि टीकाकरण नीति पर सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई हो रही है. न्यायालय ने सरकार की आलोचना भी की है और केंद्र व राज्य सरकारों से संबंधित तथ्य भी मांगा है. उम्मीद है कि जल्दी ही कुछ स्पष्ट निर्देश निर्गत हो जायेंगे. पर, सरकारों को ही उन पर अमल करना है, इसलिए व्यावहारिकता सहभागिता का रवैया अपनाना चाहिए.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें