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खत्म हो नाकेबंदी

इस हफ्ते के आखिर तक मणिपुर में जारी आर्थिक नाकेबंदी के दो महीने पूरे हो जायेंगे. यूनाइटेड नागा काउंसिल द्वारा 1 नवंबर से की जा रही आर्थिक नाकेबंदी से राज्य में सामान्य जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. खाद्य सामग्री, पेट्रोल, डीजल, गैस समेत तमाम जरूरी वस्तुएं आम जनता तक नहीं पहुंच पा रही […]

इस हफ्ते के आखिर तक मणिपुर में जारी आर्थिक नाकेबंदी के दो महीने पूरे हो जायेंगे. यूनाइटेड नागा काउंसिल द्वारा 1 नवंबर से की जा रही आर्थिक नाकेबंदी से राज्य में सामान्य जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. खाद्य सामग्री, पेट्रोल, डीजल, गैस समेत तमाम जरूरी वस्तुएं आम जनता तक नहीं पहुंच पा रही हैं और ऊपर से जनता पर नोटबंदी की भी मार पड़ रही है. वस्तुओं की कालाबाजारी अलग से कहर बरपा रही है. पहाड़ियों से घिरी राजधानी इंफाल को बाहरी दुनिया से जोड़नेवाले राष्ट्रीय राजमार्ग-2 और राष्ट्रीय राजमार्ग-37 जीवनरेखा की तरह हैं. नागा, कुकी और अन्य समूह अपने हितों को साधने और सरकार को विवश करने के लिए समय-समय पर इन्हीं राजमार्गों की नाकेबंदी को हथियार की तरह इस्तेमाल करते हैं.
इससे पहले 2006-07 में 77 दिनों और 2011 में 123 दिनों की नाकेबंदी में जनता हलकान हो चुकी है. इस बार यह नाकेबंदी राज्य सरकार द्वारा सात नये जिलों के गठन के फैसले के खिलाफ नागा समूहों द्वारा की गयी है. नागा बहुल जिला सेनापति को काट कर सदर हिल जिला बनाने के सरकार के फैसले के खिलाफ नागा समूह उग्र हैं. हालांकि, कुकी समूह इसकी लंबे समय से मांग कर रहे हैं. राज्य सरकार का आरोप है कि यूएनसी के पीछे नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालिम (इसाक-मुइवा) का खुला समर्थन है. केंद्र सरकार की एनएससीएन (आइएम) के साथ शांति वार्ता चल रही है.
नाकेबंदी के खिलाफ उग्र प्रदर्शन और हिंसा के बाद इंफाल घाटी के कई हिस्सों में कर्फ्यू लगा दिया गया है. कुछ दिनों पहले इंफाल से नागा बहुल जिला उखरुल को जानेवाले वाहनों में उग्र भीड़ ने आग लगा दी थी और कई स्थानों पर हिंसक झड़पें हुई थीं. हालात को संभालने के लिए 17 हजार से अधिक केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती की गयी है.
हालांकि, कड़ी सुरक्षा निगरानी में इंफाल-जिरीबाम को जोड़नेवाले एनएच-37 को चालू कर दिया गया है. लेकिन, हालात अब भी चिंताजनक हैं. अगर सनक भरी नाकेबंदी से निपटने के जल्द इंतजाम नहीं किये गये, तो जातीय ध्रुवीकरण बढ़ेगा, जिसका अंदाजा राज्य और केंद्र सरकार दोनों को है. ऐसे में राजनीति से ऊपर उठ कर यूनाइटेड नागा काउंसिल के साथ-साथ अन्य जनजातीय समूहों को लेकर केंद्र और राज्य सरकार को एक सकारात्मक पहल करनी चाहिए.
Prabhat Khabar Digital Desk
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