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पाक वैज्ञानिक का प्रलाप

नफरत की एक खासियत है, वह अपने खात्मे तक कभी इस सच्चाई का सामना नहीं करता कि दुनिया सहयोग-सहकार और पिछली गलतियों को न दोहराने के सबक लेने से चलती है. पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम के जनक कहे जानेवाले वैज्ञानिक अब्दुल कादिर खान का उकसावे से भरा ताजा बयान इसी की मिसाल है. एक वैज्ञानिक […]

नफरत की एक खासियत है, वह अपने खात्मे तक कभी इस सच्चाई का सामना नहीं करता कि दुनिया सहयोग-सहकार और पिछली गलतियों को न दोहराने के सबक लेने से चलती है. पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम के जनक कहे जानेवाले वैज्ञानिक अब्दुल कादिर खान का उकसावे से भरा ताजा बयान इसी की मिसाल है. एक वैज्ञानिक की मर्यादा और दुनिया की सामरिक हकीकत को ताक पर रखते हुए उन्होंने कहा है कि पाकिस्तान ने इतनी सैन्य ताकत अर्जित कर ली है कि काहूटा स्थित संयंत्र से दिल्ली को महज पांच मिनट में अपने एटमी हथियार से निशाना बना सकता है.
यह विडंबना ही है कि जिस समय दुनिया के सबसे ताकतवर देश अमेरिका के राष्ट्रपति जापान के हिरोशिमा शहर पहुंच कर दुनिया के सामने कबूल कर रहे हैं कि शांति ही आगे की जिंदगी के लिए एकमात्र सहारा है, लगभग उसी समय एक वैज्ञानिक के रूप में अब्दुल कादिर खान ठीक इसके उलटे बोल रहे हैं. हिरोशिमा पहुंचे ओबामा कह रहे हैं कि सत्तर साल पहले परमाणु बम के रूप में धरती पर मृत्यु का वज्रपात हुआ और क्षणमात्र में आग के गोले में तब्दील हुए एक पूरे शहर ने खाक होकर दुनिया को बताया कि मानवता ने अपने ही विनाश के हथियार पैदा कर लिये हैं.
लेकिन, 1930 के दशक में अविभाजित भारत के भोपाल में पैदा हुए अब्दुल कादिर खान भारत-विभाजन के दौर में पनपी पारस्परिक वैमनस्य और घृणा के मनोभाव से अब तक उबर नहीं पाये हैं, सो उन्हें इस 21वीं सदी में भी सिर्फ दो ही बातें सूझती हैं. पहली, भारत सहित पूरी पश्चिमी दुनिया पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम की विरोधी है और दूसरी, पाकिस्तान अपने एटमी हथियारों की ताकत के सहारे ही सभ्यताओं के संघर्ष के बीच विभिन्न धर्मों के बीच बंटी इस दुनिया में अपनी और इसलाम की रक्षा कर सकता है.
वे लगातार कहते रहे हैं कि ‘इजरायल सहित हर पश्चिमी मुल्क सिर्फ पाकिस्तान का ही नहीं, बल्कि इसलाम का भी शत्रु है.’ जाहिर है, नीदरलैंड की प्रयोगशाला से चोरी-चुपके पाकिस्तान को एटमी विस्फोट का फाॅर्मूला देनेवाले खान विज्ञान-प्रेमी कम, भय-भावना से ग्रस्त मदांध राष्ट्रवादी ज्यादा हैं, जो विज्ञान का उपयोग निर्माण की जगह विनाश के लिए करता है.
भारत के सैन्य विशेषज्ञों ने इसका ठीक ही जवाब दिया है कि भारत तो पूरे पाकिस्तान को निशाना बना सकता है, लेकिन भारत जानता है कि एटमी हथियार निवारक उद्देश्यों के लिए होते हैं, आक्रमण के लिए नहीं. कादिर खान और उन्हें राष्ट्रीय हीरो बनानेवाले पाक हुक्मरान जितनी जल्दी इस बात को समझ जायें, विश्व-शांति और पाकिस्तान के हक में उतना ही अच्छा होगा.

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