7.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

अफसर, चूहा और पड़ोसी!

और बरसों बाद आखिर वह दिन आ ही गया. बंदा प्रमोट हुआ. सीधा डिप्टी. कदम जमीन पर नहीं पड़ रहे थे. पद की गरिमा भी कोई चीज होती है. कई तरह के प्रोटोकॉल अपनाने पड़े. बढ़िया एसी युक्त कमरा. टेबललैंप, कॉलबेल और द्वारे चपरासी. बिना पूछे प्रवेश निषेध. साहब बिजी हैं. पर्ची भिजवाते हैं. समझाया […]

और बरसों बाद आखिर वह दिन आ ही गया. बंदा प्रमोट हुआ. सीधा डिप्टी. कदम जमीन पर नहीं पड़ रहे थे. पद की गरिमा भी कोई चीज होती है. कई तरह के प्रोटोकॉल अपनाने पड़े. बढ़िया एसी युक्त कमरा. टेबललैंप, कॉलबेल और द्वारे चपरासी. बिना पूछे प्रवेश निषेध. साहब बिजी हैं. पर्ची भिजवाते हैं. समझाया गया कि नमस्ते का जवाब बोल कर नहीं देना है. सिर्फ हौले से सर हिलाना है. महिला की बात दीगर है. देख कर रुक जाओ. बाअदब हल्की सी मुस्कान भी साथ में छोड़ो. हाल-चाल पूछो. आखिर स्त्री-सशस्त्रीकरण का जमाना है. क्या मालूम, कब कौन बिदक जाये और यौन उत्पीड़न का केस दायर कर मिट्टी पलीत करा दे.

लेकिन बंदे को घर में इसका कोई लाभ नहीं मिला. मेमसाब ने ताना मारा – अफसरी को चाटें क्या? पगार तो एक इन्क्रीमेंट ही बढ़ी.

अफसर बनने के बाद आज पहली सुबह है. मेमसाब ने पहले ही क्लीयर कर दिया था कि अफसरी का प्रोटोकॉल घर पर नहीं चलेगा. बरसों से चल रहे क्रम के अंतर्गत चूहेदानी पकड़ा दी हाथ में. खन्ना के मोहल्ले में चूहा छोड़ आओ. ध्यान रहे कि बिल्ली के सामने नहीं डालना. हत्या का पाप चढ़ेगा. अपने गणेश जी सवारी है.

बहरहाल, उस सुबह-सुबह रास्ते में कई लोग मिले. गुप्ताजी तो मानों चूहेदानी में घुस गये. यह तो बहुत बड़ा है. अफसर का चूहा जो ठहरा! त्रिवेदीजी ने छींटा मारा. अब चूहे के साथ आप भी फंसे. वर्माजी ने तो बंदे की गैरत को ही चुनौती दे मारी. वाह! तो प्रमोशन के बाद भी चूहा छोड़ने जा रहे हैं. ब्रेकिंग न्यूज. अरे! डिप्टी साहब, दफ्तर से चपरासी बुला लिया होता. बंदा बिदकता है कि किस प्रोटोकॉल में लिखा है कि अफसर चूहा छोड़ने नहीं जा सकता.

बहरहाल, बंदा दफ्तर पहुंचा. सुबह किसी दिलजले बाबू ने बंदे को चूहेदानी के साथ देख लिया था. परिणामतः न्यूज वायरल हो गयी. शाम तक उसकी नाक में बाबू लोग दम करते रहे. हर पांच मिनट पर बाहर से भी किसी न किसी का फोन आता रहा. सबकी जबान पर एक ही प्रश्न था- सुना है सर, आप चूहा छोड़ने जा रहे थे? एक बड़े अफसर ने क्लास ही ले ली. अभी कल ही प्रोमोट हुए हैं. पद की गरिमा का ध्यान रखें. और ख्याल रहे कि ऑफिस की इंटरनेशन रेपुटेशन है. किसी ने तसवीर खींच कर नेट पर वायरल कर दी तो बहुत भद होगी.

बंदे ने तय कर लिया कि चूहेदानी में फंसा चूहा छोड़ने वह नहीं जायेगा. चाहे कुछ भी हो जाये. लेकिन, प्रेतात्माएं आसानी से पीछा नहीं छोड़ती हैं. पत्नी ने साफ कह दिया-आप नहीं तो और कौन जायेगा? मैं जाती हुई अच्छी लगूंगी? बच्चे भी नहीं जा सकते. उनकी पढ़ाई-लिखाई के दिन हैं. डिस्टर्ब करना ठीक नहीं.

बात तो ठीक थी. मगर जहां चाह, वहां राह. दूसरा तरीका मिल गया. बंदा सुबह मुंह अंधेरे उठा. मुंह पर गमछा लपेटा और चूहा नेक्स्ट-डोर पड़ोसी के घर छोड़ दिया. एक दिन बंदे ने देखा कि पड़ोसी उसके घर चूहा छोड़ रहा है. दोनों एक-दूसरे को देख कर मुस्कुरा दिये. एक ही कश्ती के मुसाफिर निकले. चूहों ने भी थूथन उठा कर शुक्रिया कहा.

और फिर जिंदगी आराम से गुजरने लगी.

वीर विनोद छाबड़ा

वरिष्ठ व्यंग्यकार

chhabravirvinod@gmail.com

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें