23.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

महिलाओं का प्रतिनिधित्व

दुनियाभर में महिलाएं घर की दहलीज लांघ कर विकास की राह में सहभागी बन रही हैं और अपनी योग्यता एवं क्षमता साबित कर रही हैं. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के बहाने हर साल आठ मार्च को हम उसकी उपलब्धियों का गुणगान तो करते हैं, लेकिन 1908 में शुरू हुआ ‘लैंगिक समानता’ का संघर्ष यदि आज भी […]

दुनियाभर में महिलाएं घर की दहलीज लांघ कर विकास की राह में सहभागी बन रही हैं और अपनी योग्यता एवं क्षमता साबित कर रही हैं. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के बहाने हर साल आठ मार्च को हम उसकी उपलब्धियों का गुणगान तो करते हैं, लेकिन 1908 में शुरू हुआ ‘लैंगिक समानता’ का संघर्ष यदि आज भी अधूरा है, तो इसका बड़ा कारण यह है कि इस समानता को पुरुष प्रधान समाज अपनी सोच में आत्मसात नहीं कर सका है. संसद में महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व देने को लेकर राजनीतिक दलों का रवैया भी ऐसा ही है.
तभी तो संसद और विधानसभाओं व परिषदों में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देनेवाला विधेयक लोकसभा में पारित होने के बाद राज्यसभा में अटका है. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी विकास में महिला शक्ति के महत्व को बताया. संसद में राज्यों की महिला विधायकों एवं विधान पार्षदों के सम्मेलन के समापन सत्र में उन्होंने यहां तक कहा कि इमारतें-बिल्डिंग कभी देश को मजबूत नहीं बनाते, देश मजबूत बनता है नागरिकों से और नागरिकों को सशक्त बनाती है मां. इसलिए अब हमें ‘महिलाओं के विकास’ से आगे बढ़ कर ‘महिलाओं के नेतृत्व में विकास’ की दिशा में सोचना चाहिए.
लेकिन, इसके लिए संसद में महिलाओं को आरक्षण देने के मुद्दे पर उन्होंने कुछ नहीं कहा. जबकि इसी सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने राजनीतिक दलों से इस विधेयक को पारित कराने का आह्वान किया था. महामहिम ने कहा था कि देश-समाज का संपूर्ण विकास सुनिश्चित करने की दिशा में भारत को स्त्री शक्ति को उत्साहित करना चाहिए और ऐसा संसद व विधानसभाओं में उन्हें उचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करके ही संभव है.
यह निराशाजनक है कि संसद और विधानसभाओं में महिलाओं को प्रतिनिधित्व देने के मामले में दुनिया के 190 देशों में भारत 109वें स्थान पर है. आजादी के सात दशक बाद भी हम संसद में महिलाओं का 12 प्रतिशत से अधिक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित नहीं कर पाये हैं. यह स्थिति तब है, जबकि पंचायतों और स्थानीय निकायों में 12.7 लाख निर्वाचित महिला प्रतिनिधि हैं और वे अच्छा काम कर रहीं हैं.
इसे देखते हुए कई राज्यों में पंचायतों में महिलाओं के लिए आरक्षण 33 प्रतिशत से बढ़ा कर 50 प्रतिशत कर दिया गया है. तो क्या इस बार अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर हमारे राजनीतिक दल महिला शक्ति के गुणगान से आगे बढ़ कर महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व देने पर विचार करेंगे?

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें