7.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बेलगाम असहिष्णुता

पड़ोसी देशों के साथ राजनीतिक संबंधों को मजबूती देने में वैचारिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का बड़ा योगदान होता है. लेकिन, भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव के बहाने अपने राजनीतिक स्वार्थ की पूर्ति की ताक में रहनेवाले कुछ दलों एवं संगठनों की ओर से उन्माद भड़काने और लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमले की बार-बार कोशिशें हो रही हैं. […]

पड़ोसी देशों के साथ राजनीतिक संबंधों को मजबूती देने में वैचारिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का बड़ा योगदान होता है. लेकिन, भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव के बहाने अपने राजनीतिक स्वार्थ की पूर्ति की ताक में रहनेवाले कुछ दलों एवं संगठनों की ओर से उन्माद भड़काने और लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमले की बार-बार कोशिशें हो रही हैं.
इसी कड़ी में अब वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक सुधींद्र कुलकर्णी के साथ शिव सेना के कार्यकर्ताओं की अभद्रता शर्मनाक ही कही जायेगी. दुर्भाग्यपूर्ण है कि शिव सेना ने अपने कार्यकर्ताओं के इस अमर्यादित व्यवहार को सही ठहराते हुए कुलकर्णी द्वारा पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री खुर्शीद महमूद कसूरी की किताब के विमोचन कार्यक्रम को भी बाधित करने की धमकी दी.
कुछ दिन पहले इस राजनीतिक दल की धमकियों के कारण ही सुप्रसिद्ध पाकिस्तानी गजल गायक गुलाम अली के मुंबई एवं पुणे में कार्यक्रम को रद्द कर देना पड़ा था. शिव सेना महाराष्ट्र की सरकार में शामिल है, जिससे इन दोनों कार्यक्रमों के आयोजन के लिए बाकायदा मंजूरी ली गयी थी. शिवसेना या किसी भी अन्य संगठन को पाकिस्तान से जुड़े किसी आयोजन को लेकर कोई आपत्ति है, तो उसके शांतिपूर्ण एवं लोकतांत्रिक विरोध का विकल्प खुला है, आयोजन को चुनौती देने के लिए वैधानिक मंच भी उपलब्ध हैं.
लेकिन, तर्कों और तथ्यों की रोशनी में अपनी बात न रख कर, मार-पीट करने, कालिख पोतने, धमकी देकर अपनी मर्जी को बलपूर्वक थोपने की गैर-कानूनी हरकतें अतिवाद का परिचायक हैं, जिनका ठोस प्रतिकार बहुत जरूरी है. दुर्भाग्य से पिछले कुछ समय से देश में ऐसे तत्वों की सक्रियता बढ़ी है, जो देश के सहिष्णु ताने-बाने के लिए एक खतरनाक संकेत है. पाकिस्तानी सरकार और सेना से हमारी शिकायतों को सरकार समय-समय पर अभिव्यक्त करती रहती है. तनाव को कम कर राजनयिक और व्यापारिक संबंधों को ठीक करने के कूटनीतिक प्रयास भी जारी हैं.
ऐसे में कुलकर्णी के साथ अभद्रता, कसूरी को बोलने से रोकना या गुलाम अली को नहीं गाने देना माहौल को विषाक्त भी करते हैं और भारत के पक्ष को कमजोर भी. ऐसी हरकतों के दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सरकार को एक कठोर संदेश देना चाहिए. समाज को भी ऐसे तत्वों के भड़काऊ प्रयासों के खिलाफ और लोकतांत्रिक मूल्यों तथा कानून-व्यवस्था की बहाली में सक्रिय योगदान देना चाहिए.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें