14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

यह हेमा की कैसी संवेदनशीलता है?

किसी बड़ी दुर्घटना में खुशकिस्मती से बचा सुरक्षित व्यक्ति सबसे पहले अपनी सुध लेता है, फिर परिजनों की ओर ध्यान देता है. सब कुछ ठीक-ठाक होने पर लंबी सांस छोड़ कर सकुशलता का परिचय देता है. लेकिन यहीं से शुरू होती है संवेदनाओं की एक अग्निपरीक्षा. दुर्घटना के बाद मची भगदड़ में तो हर कोई […]

किसी बड़ी दुर्घटना में खुशकिस्मती से बचा सुरक्षित व्यक्ति सबसे पहले अपनी सुध लेता है, फिर परिजनों की ओर ध्यान देता है. सब कुछ ठीक-ठाक होने पर लंबी सांस छोड़ कर सकुशलता का परिचय देता है.
लेकिन यहीं से शुरू होती है संवेदनाओं की एक अग्निपरीक्षा. दुर्घटना के बाद मची भगदड़ में तो हर कोई अपनों को तलाशता है, लेकिन कोई दूसरों की भी सुध लेता है क्या? मथुरा-जयपुर हाइवे पर हेमा मालिनी की दुर्घटना में मौत दूसरी गाड़ी में सवार मासूम की हो गयी.
यह असंवेदनहीनता की पराकाष्ठा ही है कि जुटे लोगों ने हेमा मालिनी को तो हाथोंहाथ उठा कर जयपुर के बड़े अस्पताल में दाखिल करा दिया, लेकिन बच्ची और परिजनों उसके हाल पर ही छोड़ दिया गया. आज हेमा मालिनी पीड़ित परिवार को सहारा देने के बजाय उसी को गलत ठहरा रही हैं. यह कहां की संवेदना है.
एमके मिश्र, रांची

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें