Advertisement
नक्सल क्षेत्रों में मजूरों का शोषण जारी
केंद्र सरकार एक ओर जहां गरीब किसानों व मजदूरों के बुरे दिनों के अंत व अच्छे दिन आने के सपने दिखा रही है और विश्व समुदाय में विकास के बढ़ते कदम का ढोल पीट कर वाहवाही लूट रही है, वहीं इसकी जमीनी हकीकत अलग है. उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में विकास के नाम पर कई छोटे-बड़े […]
केंद्र सरकार एक ओर जहां गरीब किसानों व मजदूरों के बुरे दिनों के अंत व अच्छे दिन आने के सपने दिखा रही है और विश्व समुदाय में विकास के बढ़ते कदम का ढोल पीट कर वाहवाही लूट रही है, वहीं इसकी जमीनी हकीकत अलग है.
उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में विकास के नाम पर कई छोटे-बड़े काम कराये जा रहे हैं, ये काम गुणवत्ताहीन और निम्न श्रेणी के हैं. मजदूरों को मजूरी भी कम दी जा रही है. बिना लेवी के कोई काम शुरू ही नहीं होता.
ऐसे में जनता यह समझ ही नहीं पा रही है कि विकास में असली बाधक कौन है? हर निर्माण कार्य की प्राक्कलित राशि में सक्षम अधिकारी, विभागीय मंत्री या फिर उग्रवादी संगठनों का करीब 30 फीसदी हिस्सेदारी तय होती है. ऐसे में मजदूरों पर कोई ध्यान ही नहीं देता. वे बेचारे काम करते हैं और ढंग से मजूरी भी नहीं पाते. इस पर ध्यान देने की दरकार है.
बैजनाथ प्रसाद महतो, हुरलुंग, बोकारो
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement