16 दिसंबर 2012 की रात दामिनी के साथ हुई बलात्कार की जिस घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था, आखिरकार उसमें मरणोपरांत इंसाफ मिल ही गया. आज दामिनी हमारे साथ तो नहीं, लेकिन उसकी आत्मा को सुकून जरूर मिला होगा.
करोड़ों लोग जो दामिनी के लिए इंसाफ मांग रहे थे, आज उनके चेहरे पर भी जीत की रोशनी चमक रही है. मीडिया के लोग जो हर पल इस खबर पर नजर बनाये हुए थे, सामाजिक मुद्दों के प्रति यह उनकी भी जीत है. तारीख पे तारीख देनेवाली अदालत के इस फैसले से लोगों के दिल में इंसाफ के प्रति आस्था और मजबूत होगी कि कानून के यहां देर है, अंधेर नहीं. इस साहसिक फैसले की लिए माननीय कोर्ट की जितनी भी सराहना की जाये कम है. ऐसे फैसलों को जल्द लागू भी कर देना चाहिए, ताकि ऐसे दरिंदों के मन में फांसी का फंदा हमेशा झूलता रहे.
कमलेश सिंह ‘छोटू’, रांची