पिछले दिनों आयोजित विश्व हिंदू परिषद की चौरासी कोसी परिक्रमा को अयोध्या की शांति भंग करने की कोशिश बताना न्यायसंगत नहीं है, जैसा कि आपके संपादकीय में बताया गया. राम जन्मभूमि का मामला 70 वर्षो से जला आ रहा है और अभी तक शांत नहीं हुआ है.
भारत में गंगा-जमुनी तहजीब कहां है? जमुना जब गंगा में मिलती है तो वह गंगा में विलीन हो जाती है. जमुना का नामोनिशान मिट जाता है और आगे वह गंगा ही कहलाती है. दो संस्कृतियों के मेल के बाद क्या वह अपने पुराने नाम से पुकारी जाती है? इसी की तो जरूरत है.
पर जान-बूझ कर न मिलना और अपनी अलग पहचान बनाये रखना ही सारे फसाद की जड़ है. संपादकीय में जब तहजीब की बात की गयी है, तब धर्म की जगह मजहब और सांप्रदायिक की जगह फिरकापरस्त का व्यवहार करते तो न्यायसंगत होता.
ललन प्रसाद वर्मा, घाटशिला