।। विजय आनंद ।।
गुमला : इन दिनों राजनीतिक क्षितिज के सितारों के बीच एक दूसरे के खिलाफ विष–वमन करने की होड़ मची हुई है और ऐसा प्रतीत हो रहा है कि आगामी लोकसभा चुनाव तक यह सिलसिला जारी रहेगा.
जबसे भाजपा के बड़े सितारे नरेंद्र मोदी को चुनाव कमेटी का चेयरमैन घोषित किया गया है, तब से देश के राजनीतिक गलियारों में भूचाल सा आ गया है. इस भू–चाल का पहला असर देश के एक महत्वपूर्ण राज्य बिहार पर पड़ा जहां कुछ मतभेदों के बाद जदयू की अगुवाईवाली नीतीश सरकार भाजपा–विहीन हो गयी है.
खैर, आज की तारीख में मोदी जो कुछ भी बोलते हैं, उसके तुरंत बाद कांग्रेस के दिग्गज उन पर शब्द–बाणों के साथ टूट पड़ते हैं. ऐसा लगता है कि मोदी के खिलाफ बोलना उनकी सबसे पहली प्राथमिकता है और इसमें दिग्विजय सिंह पहले नंबर पर आते हैं. इसके बाद भाजपा वाले कांग्रेस पर निशाना लगाना शुरू कर देते हैं.
इस प्रकार आरोप–प्रत्यारोप का दौर शुरू हो जाता है. कभी–कभी इतने घटिया आरोप लगाये जाते हैं कि देश के नागरिक अवाक् से हो जाते हैं. मसलन, गया के अहिंसा धाम में विस्फोट की घटनाओं के बाद दिग्गी राजा का बयान. बटला हाउस मामले में उनके बयान आदि.
इन नेताओं की बयानबाजी या ट्वीट से देश में जो खतरा उत्पन्न हो रहा है, संभवत: वे (कांग्रेस व भाजपा के नेता) इसे नहीं समझ पा रहे हैं. भले ही कांग्रेस और भाजपा के नेता अपने लाभ के लिए जनता को अपने तरीके से समझाने का प्रयास कर रहे हों, लेकिन उनके वक्तव्य देश में उन्माद उत्पन्न कर रहे हैं, साथ ही ध्रुवीकरण की प्रक्रिया भी जारी है. यदि इसी प्रकार के जहरीले आरोप–प्रत्यारोप का दौर जारी रहा तो लोकसभा चुनाव आने तक यह देश के सद्भाव को डंस लेगा.