21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

एक प्रतिभाशाली राष्ट्र का उदय

एमजे अकबर प्रवक्ता, भाजपा भारत अब एक प्रतिभावान राष्ट्र है. यह वंश और रक्त की पहचान को पीछे छोड़ रहा है. हालांकि विशेषाधिकार सार्वजनिक और पेशेवर जीवन सेअभी खत्म नहीं हुआ है, पर वह मरणासन्न है. मुझे हाल में एक ऐसा व्यक्ति मिला, जो खुद को चोट पहुंचाये बिना जीवन जीने के इच्छुक लोगों के […]

एमजे अकबर
प्रवक्ता, भाजपा
भारत अब एक प्रतिभावान राष्ट्र है. यह वंश और रक्त की पहचान को पीछे छोड़ रहा है. हालांकि विशेषाधिकार सार्वजनिक और पेशेवर जीवन सेअभी खत्म नहीं हुआ है, पर वह मरणासन्न है.
मुझे हाल में एक ऐसा व्यक्ति मिला, जो खुद को चोट पहुंचाये बिना जीवन जीने के इच्छुक लोगों के लिए शानदार आदर्श हो सकता है. वह व्यक्ति एक वाहन चालक है, जिसने मुझे परेशानी से भरे दो घंटों में बंगलुरु हवाई अड्डे से होटल पहुंचाया. रेंगती ट्रैफिक में जब एक ऑटो-रिक्शा उसके सामने अवरोध बन कर आ गया, तब भी उसने अपना संयम नहीं खोया. उसे रास्ते के मिजाज का पता था- हाइवे पर यात्रा अच्छी होगी और उसके बाद ट्रैफिक बहुत धीमी हो जायेगी. वह किसी बेमानी आशावाद से मुक्त था.
वह चालक पेशेवर है. वह अपना काम लगन और आत्म-सम्मान के साथ करनेवाला व्यक्ति है. वह अपनी एकमात्र साप्ताहिक छुट्टी शनिवार के दिन शहर से 20 किलोमीटर दूर अपने घर जाता है और साथ में अपने दो बच्चों के लिए खाने की चीजें ले जाता है.
नौ साल का उसका बड़ा बेटा पिता की गैर-मौजूदगी से क्षुब्ध रहता है, लेकिन उसे यह अहसास है कि पिता उसके लिए ही काम करता है. सभी धैर्यवान लोगों की तरह सलाह देने के मामले में मेरा ड्राइवर भी एक पार्ट-टाइम दार्शनिक है. उसने मुझे पहले ही चेता दिया था कि शाम को ट्रैफिक की हालत बहुत खराब होगी. ऐसा इसलिए, क्योंकि हर कोई शुक्रवार की रात जश्न मनाने के लिए जा रहा था. उसने बताया कि भारत बदल चुका है. सूचना तकनीक ने भारत को बदल दिया है.
सीमित और व्यापक- दोनों अर्थो में उसकी बात सही है. सूचना तकनीक वंश, परिवार, जाति और आस्था जैसे पारंपरिक प्रभावों पर पेशेवराना बदलाव की जीत का एक संकेत भी है और सच्चाई भी है. परिणाम देनेवाले अब नये नायक हैं; और यदि, व्यक्तियों के रूप में, उन्होंने कठिन परिस्थितियों पर विजय पायी है, तो उनकी प्रतिष्ठा का पायदान और ऊंचा है. भारत आकांक्षाओं से लबरेज जगह बन चुका है. अब तनाव महत्वाकांक्षा और अवसर के बीच है.
इस बात के सबूत हर जगह हैं. इस संदर्भ में पिछले पांच वर्षो में खेल एक अनुकरणीय उदाहरण बन कर उभरा है. उद्यमशील क्षमता, स्वस्थ मनोरंजन की आम चाहत और सूचना तकनीक के शानदार संगम ने ‘बीमारू’ यानी वित्तीय दृष्टि से कमजोर खेलों को भी दर्शक-आधारित लाभप्रद इकाइयों में बदल दिया है. तो, इस स्थिति से सर्वाधिक लाभ कमानेवाले खिलाड़ी कहां से आ रहे हैं?
एक समय था, जब विश्व कप क्रिकेट के लिए संभावित खिलाड़ियों के बारे में यह चर्चा होती थी कि हर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व है या नहीं, किसी प्रभावशाली व्यक्ति की पैरवी से कौन आया है, कोई मुसलिम है या नहीं, या उसे किसी पूर्वाग्रह के कारण जगह नहीं दी गयी है आदि. अच्छी खबर सिर्फ यही नहीं है कि जम्मू-कश्मीर का अच्छा खिलाड़ी परवेज रसूल इस बार की सूची में है, बल्कि यह भी कि अंतिम 15 में उसे नहीं भी रखा जा सकता है.
वह सूची में अच्छा खिलाड़ी होने के कारण है, न कि मुसलिम या कश्मीरी होने के कारण. अगर वह मुख्य टीम में नहीं आ पाता, तो न आये. परवेज टीम में योग्यता के कारण है, प्रश्रय के कारण नहीं. यह शानदार स्थिति है. मात्र 19 वर्ष का कुलदीप यादव कमाल की चाइनामैन गेंदबाजी के कारण टीम में है, न कि किसी आयोग द्वारा आरक्षित जगह के कारण.
मुझे विराट कोहली की जाति का पता नहीं है और किसी को इस बात की परवाह भी नहीं है. हरभजन सिंह और जहीर खान को अल्पसंख्यक होने की वजह से नहीं, बल्कि इसलिए जगह नहीं मिली, क्योंकि वे शानदार उपलब्धियों के साथ अपने कैरियर का बेहतर दौर पार कर चुके हैं.
सिनेमा और टेलीविजन में भी प्रतिभा और बाजार में स्वीकार्यता ही मानदंड बन रहे हैं. सितारों की लोकप्रियता उनके प्रदर्शन पर निर्भर है, न कि उनकी पारिवारिक या धार्मिक पृष्ठभूमि पर. इस संदर्भ में भारतीय दर्शक अपने नेताओं और कानून बनानेवालों से बहुत आगे है. एक राजनेता ने अपनी राजनीतिक ताकत के आधार पर अपने बेटे को भारतीय क्रिकेट टीम में भेजने की असफल कोशिश की थी.
भारत अब एक प्रतिभावान राष्ट्र है. यह वंश और रक्त की पहचान को पीछे छोड़ रहा है. हालांकि, विशेषाधिकार सार्वजनिक और पेशेवर जीवन से अभी खत्म नहीं हुआ है, पर वह मरणासन्न है. विषमता के भूतकाल से मुक्ति के इच्छुक राष्ट्र को मिला यह लोकतांत्रिक लाभांश है. इसीलिए बेंगलुरु में गाड़ी चलानेवाला यह व्यक्ति इतनी मेहनत कर रहा है; सिर्फ इसलिए नहीं कि उसके डोसे में अधिक मसाला आ जाये, बल्कि इसलिए भी कि साल 2025 की संभावित सूची में उसके बच्चों का भी नाम हो. जरूरी नहीं कि क्रिकेट टीम की सूची में उनका नाम हो. अगर किसी तकनीकी कंपनी में उन्हें साक्षात्कार के लिए बुलाया जाता है, तो उस दिन भारत अपनी मंजिल पर पहुंच जायेगा.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें