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बैन लगे ‘बाउंसर बॉल’ पर
क्रिकेट की एक बाउंसर गेंद ने फिलिप ह्यूज की जिंदगी की पारी खत्म कर दी. यूं तो हर फेंकी गयी बाउंसर पर पारी खत्म करने का ही हुक्म लिखा होता है, कुछ खुशनसीब होते हैं जो ‘हुक’ से बाउंसर का जवाब दे कर पारी बचा ले जाते हैं. उस दिन अंपायर की उंगलियां घूम-घूम कर […]
क्रिकेट की एक बाउंसर गेंद ने फिलिप ह्यूज की जिंदगी की पारी खत्म कर दी. यूं तो हर फेंकी गयी बाउंसर पर पारी खत्म करने का ही हुक्म लिखा होता है, कुछ खुशनसीब होते हैं जो ‘हुक’ से बाउंसर का जवाब दे कर पारी बचा ले जाते हैं.
उस दिन अंपायर की उंगलियां घूम-घूम कर चेतावनी देती रहीं, मगर ‘सिक्स्टी थ्री नॉट आउट फिलिप’ आउट हो गये. दुनिया भर के खिलाड़ियों ने अपने तरीके से उन्हें विदा किया होगा. ऐतिहासिक विदाई तो तब हुई जब 64 नंबर की जर्सी प्रतिबंधित कर दी गयी. खेल और खेल के साथ जुड़े जज्बाती रिश्ते को दुनिया सलाम जरूर करेगी. मगर सवाल यहां से शुरू होता है. दोष ‘एक’ बॉल का और सजा 64 को? खुशियों के लेन-देन में एक खूबसूरत सी जिंदगी को क्यों मौत के सामने खड़ा कर देते हैं? काश! ‘बाउंसर बॉल’ को ही खत्म कर दिया जाता.
एमके मिश्र, रातू, रांची
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