पुलिस को काफी मशक्कत के बाद बड़ी सफलता मिली है. दो लाख रुपये के इनामी हार्डकोर उग्रवादी जेठा कच्छप को गिरफ्तार कर लिया गया है. जेठा उग्रवादी संगठन पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया का जोनल कमांडर है.
15 से भी अधिक लोगों की हत्या कर चुका है जेठा कच्छप राजधानी रांची से सटे कर्रा और खूंटी इलाके में आतंक का पर्याय बन गया था. निश्चय ही इस गिरफ्तारी के बाद पुलिस राहत की सांस ले रही हो, लेकिन टास्क यहीं खत्म नहीं होता. पुलिस के सामने इससे भी बड़ी एक चुनौती है, जिसे पूरा करना पुलिस के लिए नितांत जरूरी है. जेठा 2010 में उग्रवादी संगठन पीएलएफआइ से जुड़ा था.
खूंटी, कर्रा और तोरपा थाने में उसके खिलाफ 39 मामले दर्ज हैं. 28 मामले तो सिर्फ कर्रा थाने के हैं, इनमें 15 हत्या के हैं.जेठा संगठन में दिनेश गोप के बाद दूसरे नंबर पर था. पुलिस को दिनेश गोप की भी तलाश है. अब जबकि जेठा गिरफ्त में है, ऐसे में यह पुलिस की काबिलियत होगी कि वह दिनेश गोप तक भी पहुंचे और उसे गिरफ्तार करे. सवाल यह उठता है कि पुलिस कैसे इस काम को अंजाम तक पहुंचाये. इसके लिए बहुत जरूरी है कि उसको समय पर और सही सूचना मिले. सूचना तंत्र को और मजबूत करने की आवश्यकता है.
पर, इसके साथ यह भी बहुत जरूरी है कि सूचना मिलने पर त्वरित गति से कार्रवाई हो. अमूमन पुलिस इस मामले में चूक कर जाती है. पुलिस को अपने खुफिया तंत्र को भी मजबूत करना होगा. ऐसी सूचना मिली है कि खूंटी में पुलिस का ऑपरेशन कारो शुरू होने के बाद पीएलएफआइ के कई उग्रवादियों ने जिला छोड़ दिया है. जेठा कच्छप ने भी ऐसा ही किया था.
ऑपरेशन कारो का परिणाम मिल रहा है. पुलिस उत्साहित भी है. पुलिसकर्मियों के इस उत्साह को बनाये रखने की आवश्यकता है. एक कहावत है : घर का भेदी लंका ढाहे, पुलिस को इस पर भी बारीकी से विचार करने की जरूरत है. क्योंकि कई ऐसे मामले सामने आये हैं जिसमें घर के भेदियों के कारण पुलिस को फजीहत झेलनी पड़ी है.
आगे ऐसा न हो इसका भी ख्याल रखना होगा. जेठा की गिरफ्तारी निश्चित रूप से एक बड़ी सफलता है, लेकिन इससे भी बड़ी सफलता तब मिलेगी, जब दिनेश गोप पुलिस की गिरफ्त में होगा.