वर्तमान समय में अंतरराष्ट्रीय संदर्भ में जनसंख्या विस्फोट की समस्या एक ज्वलंत विषय बन कर उभरी है. जनसंख्या बढ़ने के वैज्ञानिक कारणो में दो कारण प्रमुख हैं, पहला स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार से घटती मृत्यु दर तो दूसरी ओर नयी-नयी तकनीक के कारण बढ़ता कृषिगत और औद्योगिक उत्पादन. भारत जनांकिकीय संक्रमण के द्वितीय चरण में है, जहां स्वास्थ्य सुविधाओं के विकेंद्रीकरण से मृत्यु दर में कमी तो आयी है, लेकिन जन्म दर अब भी उच्च बना हुआ है.
उम्मीद की जानी चाहिए कि वह समय दूर नहीं जब हम चीन और जापान जैसे देशों के खेमे अर्थात् जनांकिकीय संक्र मण की तीसरी अवस्था में प्रवेश कर जायेंगे जहां जन्म और मृत्यु दर दोनों में कमी आ जाती है. पहली नजर में ऐसा लगता है कि ऐसा होना देश के लिए हितकारी है, लेकिन इसके दूरगामी परिणाम कई समस्याओं को जन्म देते हैं. आपको पता होगा कि आज चीन देश में वृद्ध होती जनसंख्या के कारण चिंतित है. जन्म और मृत्यु दर में तीव्रतर कमी के कारण निचले आयु स्तर के बच्चों की संख्या में कमी आती है तो दूसरी तरफ पूर्व की कार्यशील जनसंख्या वृद्ध हो चुकी होती है, जो बाद में किसी देश की सरकार के लिए सिर दर्द बन जाती है और विशाल जनसंख्या बोझ बन जाती है.
बढ़ती जनसंख्या समाज में भिन्न प्रकार की समस्याओं को जन्म देती है. हां, यदि जनसंख्या का सफल प्रबंधन हो तो वही जनसंख्या मूल्यवान बन जाती है. भारत जैसे विकासशील देश में जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा उचित प्रबंधन के अभाव में बेरोजगारी की लौ में मरने को विवश है. यदि उन्हें रुचि के अनुसार प्रशिक्षण सहित आवश्यक कौशल विकास के गुर मिलें तो विशाल जनसंख्या देश के लिए वरदान सिद्ध होगी. नयी सरकार इस पर ध्यान दे!
सुधीर कुमार, गोड्डा