पांच साल तक एसी की हवा खाने के बाद जब नेता चिलचिलाती धूप में गांवों की खाक छानते फिरते हैं, तब जनता को राजा वाला फिलिंग आने लगता है कि इस लोकतंत्र में मेरा भी कोई अस्तित्व है. हम निरीह जनता के पास एक ही तो वोट वाला रामबाण है, जो सत्तारूढ़ों को धूल भी चटा सकता है तथा विपक्षियों को सत्तारूढ़ भी कर सकता है. लोकतंत्र का सबसे बड़ा पावर हम जनता के हाथों में है, हमें सोच-समझ कर मतदान करने की जरूरत है.
बिना किसी लाग-लपेट, लालच, मोह व बहकावे से दूर हट कर अपना योग्य प्रतिनिधि चुनना ही लोकतंत्र के प्रति आस्था मानी जा सकती है. मतदान के समय हमारी नजर प्रतिनिधि पर होनी चाहिए न कि पार्टी विशेष पर. हमें तटस्थ और चौकन्ना रहकर मतदान करने की जरूरत है. हर पांच साल में एक बार देश गढ़ने का मौका मिलता है. इसलिए सोच-समझकर प्रतिनिधि का करें.
सत्यम भारती, वनद्वार (बेगूसराय)