चीन के दौरे पर गये भारत के उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने पंचशील सिद्धांतों की 60वीं वर्षगांठ पर अपने विशेष संबोधन में कहा कि विश्व शांति भारतीय विदेश नीति का मूलभूत अंग है. पिछले वर्ष मई महीने में चीन के प्रधानमंत्री ली केकुआंग के भारत दौरे के समय दोनों देशों ने शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के पंचशील के सिद्धांतों की 60वीं वर्षगांठ को 2014 में ‘मैत्रीपूर्ण विचार-विमर्श के वर्ष’ के रूप में मनाने का निर्णय किया था.
निश्चित रूप से न सिर्फ पड़ोसी देशों के बीच बेहतर संबंधों के लिए, बल्कि पूरी दुनिया में शांति के लिए पंचशील के सिद्धांतों की प्रासंगिकता पहले से कहीं अधिक है, लेकिन हकीकत यह भी है कि अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक व आर्थिक परिदृश्य अब बिल्कुल बदल गये हैं. चीन और भारत के संबंधों में भी इस दौरान बड़े उतार-चढ़ाव आये हैं. 1962 के युद्ध के बाद अरुणाचल, जम्मू-कश्मीर और तिब्बत से जुड़े मसले अभी तक उलझे हुए हैं. हाल में जारी अपने आधिकारिक नक्शे में चीन ने भारतीय क्षेत्रों पर अपने दावों को फिर से रेखांकित किया है.
उप राष्ट्रपति के साथ गये भारतीय उच्चाधिकारियों ने द्विपक्षीय बातचीत में चीन द्वारा पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर से होते हुए पाकिस्तान को चीन से जोड़नेवाली प्रस्तावित रेल-योजना के साथ अरुणाचल प्रदेश को चीनी नक्शे में दिखाये जाने पर अपना विरोध जताया है. उम्मीद है कि चीनी राष्ट्रपति की आगामी भारत-यात्राा के दौरान दोनों देश इन मसलों पर किसी स्पष्ट निर्णय तक पहुंच सकेंगे. यह भी सच है कि दोनों देशों के बीच मजबूत व्यापारिक लेन-देन होता है, लेकिन उसका संतुलन चीन के पक्ष में है.
भारत को इस बात की पूरी कोशिश करनी होगी कि चीन भारतीय वस्तुओं के लिए अपने बाजार खोले. नरेंद्र मोदी सरकार की प्रस्तावित विशाल परियोजनाओं के लिए चीन आर्थिक सहयोग मुहैया कर सकता है, क्योंकि उसके पास भारी नकदी है. दोनों देशों के बीच मजबूत संबंध अंतरराष्ट्रीय मंच पर इनके हितों की रक्षा के लिए भी आवश्यक हैं. चीन और भारत सहित रूस, दक्षिण अफ्रीका व ब्राजील ‘ब्रिक्स’ के साझा मंच के जरिये दुनिया में सार्थक हस्तक्षेप करने की स्थिति में हैं. आशा है कि दोनों देश परिपक्वता के साथ ठोस आपसी सहयोग की ओर बढ़ेंगे.