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समाज को अनिकेत जैसे युवा की जरूरत
गत दिन की बात है. जहां पूरे देशवासी गणतंत्र दिवस का जश्न मना रहे थे, वहीं, बिहार के पूर्वी चंपारण जिले में एक नवजात बच्चे को किसी ने कचरे के ढेर में जिंदा ही फेंक दिया. गली के आवारा कुत्ते उसके हाथ को नोच-नोच कर खाने लगे. लेकिन, वहां खड़ी भीड़ वीडियो बनाने में लगी […]
गत दिन की बात है. जहां पूरे देशवासी गणतंत्र दिवस का जश्न मना रहे थे, वहीं, बिहार के पूर्वी चंपारण जिले में एक नवजात बच्चे को किसी ने कचरे के ढेर में जिंदा ही फेंक दिया. गली के आवारा कुत्ते उसके हाथ को नोच-नोच कर खाने लगे. लेकिन, वहां खड़ी भीड़ वीडियो बनाने में लगी रही.
किसी ने मानवता नहीं दिखायी. इसी बीच जिले का ही एक युवा अनिकेत पांडेय ने उसे उठाकर सदर अस्पताल पहुंचाया. हालांकि तब तक काफी देर हो चुकी थी. डॉक्टर ने उस नवजात बच्ची को मृत घोषित कर दिया. इस तरह की घटना मानवता पर प्रश्न खड़ा करती है. वहीं, आज यह सभी सोचने को विवश करता है कि अब भी हमारे समाज में अनिकेत पांडेय जैसा युवक है, जिसके बदौलत हमारा समाज चल रहा है.
नितेश कुमार सिन्हा, जानपुल चौक (मोतिहारी)
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