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मानसून की इस बारिश को सहेज लें

थोड़ी देर से ही सही, पर मानसून ने झारखंड में शानदार आगाज किया है. बारिश ने एक साथ पूरे राज्य को भिगो दिया है. बिजली की गरज, चमक के साथ राज्य के अधिकांश हिस्सों में बारिश की झड़ी लग गयी है. राजधानी रांची में भी अच्छी बारिश हो रही है. रांची में गुरुवार को तकरीबन […]

थोड़ी देर से ही सही, पर मानसून ने झारखंड में शानदार आगाज किया है. बारिश ने एक साथ पूरे राज्य को भिगो दिया है. बिजली की गरज, चमक के साथ राज्य के अधिकांश हिस्सों में बारिश की झड़ी लग गयी है.

राजधानी रांची में भी अच्छी बारिश हो रही है. रांची में गुरुवार को तकरीबन 43.6 मिलीमीटर बारिश हुई. झारखंड में सिंचाई के साधनों की कमी है और यहां खेती मुख्य रूप से बारिश पर ही निर्भर है. अच्छी बात यह है कि पहली ही बारिश ने खेतों को तर कर दिया है. मौसम विभाग का कहना है कि अनुकूल परिस्थिति में राज्य में मानसून ने प्रवेश किया है.

उम्मीद की जा सकती है कि किसानों को खेती के लिए पर्याप्त पानी मिल पायेगा. राज्य के सिंहभूम क्षेत्र में भी बारिश ठीकठाक हुई (जमशेदपुर में 30.2 मिमी) है. लेकिन, सूखे की चपेट में आने के लिए चर्चित पलामू में बरसात धीमी रही (12.13 मिमी). उम्मीद की जानी चाहिए कि मानसून के आगे बढ़ने के साथ पलामू पर भी बारिश की मेहरबानी होगी. हर जगह बारिश ने किसानों के चेहरे पर रौनक ला दी है. किसान अब नयी फसल खास कर धान की खेती की तैयारी में जुट जायेंगे. शहरों में भी लोग उल्लसित हैं.

गर्मी से राहत दिलानेवाली इस बारिश ने बच्चों, युवाओं को मस्ती करने का मौका दे दिया है. शहरों में लड़के-लड़कियां जलवृष्टि में भीगने का कोई मौका नहीं गवां रहे हैं. हालांकि डॉक्टरों ने ताकीद की है कि भीषण गर्मी के बाद मौसम में आये बदलाव से लोग सावधान रहें. बदलते मौसम में भीगने से तरह-तरह की बीमारियां हो सकती हैं.

खैर, काफी तरसाने के बाद ये बारिश आयी है इसलिए हम सबका फर्ज बनता है कि पानी को यूं ही बरबाद न होने दिया जाये. जल छाजन और अन्य माध्यमों से इस पानी को धरती के भीतर तक पहुंचाना होगा, जिससे धरती के नीचे के जलस्तर को ऊपर लाया जा सके. यह काम सिर्फ सरकार के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता. हर नागरिक का फर्ज है कि बारिश के पानी का भरपूर सदुपयोग किया जाये. तभी हमारी धरती की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी. भूगर्भीय जलस्तर बरकरार रहेगा. एक बात और. इस बार कहा गया है कि मानसून की बारिश औसत से कम हो सकती है, तो आइए हम सब संकल्प लें कि इस बार बारिश का पानी यूं ही बरबाद नहीं होने देंगे.

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