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अब और न हों देश के टुकड़े

आंध्र प्रदेश से काट कर अलग राज्य तेलंगाना बन ही गया. इस पर कहीं खुशियां मनायी जा रही हैं तो कहीं मातम भी. नये राज्य को लेकर देश में 29 राज्य व 7 केंद्र शासित प्रदेश हैं. बीच-बीच में राजनैतिक और क्षेत्रीय हितों को साधने के लिए विभिन्न स्तरों से बोडोलैंड, गोरखालैंड, विदर्भ और उत्तर […]

आंध्र प्रदेश से काट कर अलग राज्य तेलंगाना बन ही गया. इस पर कहीं खुशियां मनायी जा रही हैं तो कहीं मातम भी. नये राज्य को लेकर देश में 29 राज्य व 7 केंद्र शासित प्रदेश हैं. बीच-बीच में राजनैतिक और क्षेत्रीय हितों को साधने के लिए विभिन्न स्तरों से बोडोलैंड, गोरखालैंड, विदर्भ और उत्तर प्रदेश के टुकड़े करने की भी मांगें उठती रहती हैं.

लेकिन एक राष्ट्रवादी नजरिये से देखें तो यह बिलकुल गलत है. देश के जितने ज्यादा टुकड़े होंगे उतना ज्यादा प्रशासनिक खर्च बढ़ेगा और सारा बोझ आम जनता के ऊपर आयेगा. पहले जहां नये राज्यों का निर्माण भाषागत विविधता के आधार पर होता था, वहीं अब तो वोट बैंक ही आधार दिखता है. सरदार वल्लभ भाई पटेल का सपना क्या यही था? सैकड़ों स्वतंत्र रियासतों को एक करने में जो कुर्बानियां हुई थीं, हमारे राजनेता उन्हें व्यर्थ कर रहे हैं.

मनीषा पांडे, धनबाद

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